समाजवादी आन्दोलन के पुरोधा : हरिकेवल प्रसाद


सधारण किसान परिवार में पैदा [हुए हरिकेवल प्रसाद अपने संघर्षों के बलबुते जो उंचाई हासिल की। इससे वह सदा याद किये जाएंगे। जुझारू तेवर और जनता के सवालो पर लड़ाई लड़ने वाले हरिकेवल प्रसाद युवा पिढ़ी के लिए उनकी संघर्ष गाथा अनुकरणीय होगी। दो बार उत्तर प्रदेश के सलेमपुर बिधान सभा सीट से विधायक व चार बार सलेमपुर लोकसभा से सांसद रहे तथा पार्टी में ऊंचे पदों पर पहुंचने के बाद भी अपने अतीत को कभी नहीं भूले, आज की राजनैतिक परिवेश जहां धनबल बाहूबल पर चल रहा है, वही हरिकेवल प्रसाद जनबल के सहारे इतनी ऊचाई पर पहुंचे थे। देश की राजनीति में ऊंचे घरानों और धनबलियों की अपेक्षा सधारण किसान परिवार से होने के बावजूद भी अपने सादगीपूर्ण जीवन एवं जनता से नजदीकियों की बदौलत अपनी मंजिल हासिल करते रहे। खेलने कुदने की उम्र में ही उन्होंने अपना जीवन समाजिक संघर्षों के लिए समर्पित कर दिया था। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी मोहर भाई तथा समाजवादी नेता उग्रसेन सिंहजैसे लोगों के सम्पर्क में आने के बाद उनकी मुलाकात डॉ. राम मनोहर लोहिया से हुई जहां से उन्होंने बहुत कुछ सीखा, डॉ. लोहिया के दिखाये गये रास्ते पर राजनीति के माध्यम से जनसेवा में अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया। वे जनता व समाज के लिए अंतिम समय तक लड़ते रहे। गवई पृष्ठ भूमि से जुड़े होने के कारण उनके साथ बहुत बड़ी संख्या में असहाय व गरिब परिवार के लोग जुड़े थे चाहे जिस किसी जाति-धर्म का हो कोयी भेद नही करते थे अगर किसी ने उनके लोगों के साथ कोयी ज्यादती की तो उनके मदद के लिए हमेशा तत्पर रहते थे लोग कहावत कहते थे कि जिसका कोयी नही उसका हरिकेवल। समाजवादी नेता मोहन सिंह अक्सर कहा करते थे कि अगर जिस किसी ने डा. लोहिया को नहीं देखा व पढ़ा हो तो वह हरिकेवल प्रसाद को देख ले तो समझ जाये कि वह डा. राम मनोहर लोहिया को देख लिया।


हरिकेवल प्रसाद व्यक्ति नही विचार थे तथा राजनीति में राजनैतिक कार्यकताओं के प्रेरणा श्रोत थे उनके साथ सभी जाति धर्मों के राजनैतिक कार्यकर्ताओ का लगाव इतना गहरा था कि उनको यह हमेशा महसूस होता था कि हम बाबूजी के सबसे खास है। वह अपने निर्वाचन क्षेत्र ही नही परंतु पुरे प्रदेश व देश से आने वाले कार्यकताओं का सम्मान करते थे तथा उन लोगों के द्वारा जनहीत में लाये गये समस्याओं का नीराकरण करवाने में उनकी मदद करते थे। उनका पुरा जीवन संघर्षों से भरा रहा वे क्षेत्रिय समस्याओं से लेकर राष्ट्रीय यमस्याओं तक को सड़क से लेकर संसद तक लड़ते रहे तथा जनहित के कई महत्वपूर्ण समस्याओ का नीराकरण अपने संघर्षों के बल पर करवाया। वे कई मजदूरों के ट्रेड यनियनो से जुड़े रहे जिसके कारण देश के अनेक हिस्सो से मजदूर नेता व कर्मचारीयो काउनके पास आना-जाना लगा रहता था वे विशाल हृदय व असीमित शाहस के धनी, पद प्रलोभन से परें राजनैतिक संत थे।