मुंबई में “दीनदयाल दिव्यांग पुनर्वास योजना (डीडीआरएस)” पर क्षेत्रीय सम्मेलन आयोजित


महाराट्र :सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय, दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग ने 'दीनदयाल विकलांग पुनर्वास योजना (डीडीआरएस)' नामक एक योजना को लागू किया है। इस योजना के लिए एक क्षेत्रीय सम्मेलन 17 जनवरी, 2019 को देश के पश्चिमी क्षेत्र से कार्यक्रम कार्यान्वयन एजेंसियों (पीआईए) को कवर करते हुए मुंबई के नेहरू सेंटर में आयोजित किया गया था। यह देश भर में आयोजित होने वाले सिलसिलेवार क्षेत्रीय सम्मेलनों का दूसरा हिस्सा है और नई दिल्ली में एक राष्ट्रीय सम्मेलन में इसका समापन होगा।


पश्चिमी राज्यों मसलन महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात और गोवा के साथ ही गैर सरकारी संगठनों प्रतिनिधियों ने इस सम्मेलन में हिस्सा लिया। डीडीआरएस के तहत प्रत्येक साल करीब 600 गैर सरकारी संगठनों को अनुदान जारी किया जाता है। डीडीआरएस के तहत कुल गैर सरकारी संगठनों का लगभग 10%, कुल अनुदान का 10% और स्पेशल स्कूल फॉर चिल्ड्रेन विद इंटिलेक्चुअल डिसेब्लटिज के लिए 10% पश्चिमी भारतीय राज्यों से आता है।


डीडीआरएस 1999 से लागू केंद्रीय सरकार की एक योजना है जिसके तहत विकलांग लोगों की शिक्षा और उनके पूनर्वास के लिए काम करने वाले गैर सरकारी संगठनों को मदद मुहैया कराई जाती है। इस योजना को 2018 में संशोधित किया गया था और यह संशोधित योजना 1 अप्रैल 2018 से लागू है। यह क्षेत्रीय सम्मेलन संशोधित योजना के प्रावधानों का प्रसार करने और विभाग को कार्यान्वयन एजेंसियों के करीब लाने के लिए आयोजित किया गया था। इस सम्मेलन ने केंद्र सरकार से लेकर कार्यान्वयन एजेंसियों तक सभी हितधारकों के के बीच बातचीत करने का एक शानदार अवसर मुहैया कराया। इस सम्मेलन से योजना को लेकर समझ गहरी हुई जिससे विकलांग लोगों के लिए योजना को कार्यान्वित करने में मदद मिलेगी।


सम्मेलन में उपस्थित गणमान्य लोगों में दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग  के  संयुक्त सचिव डॉ. प्रबोध सेठ, महाराष्ट्र सरकार के प्रमुख सचिव  दिनेश वाग्मारे, सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय, दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग की संयुक्त सचिव और वित्तीय सलाहकार  टी.सी.ए. कल्याणी शामिल रहे।


डॉ. प्रबोध सेठ ने अपने संबोधन में विकलांगों के सशक्तिकरण के मिशन में डीडीआरएस के गैर सरकारी संगठनों को भागीदार बताया। साथ ही बिना भेदभाव के दिव्यांगजनों को स्वीकार करने और उनका सम्मान करने वाले समावेशी समाज के निर्माण की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने सम्मेलन में उपस्थित लोगों को इस क्षेत्र में अपने प्रशंसनीय कार्य को जारी रखने के लिए प्रोत्साहित किया और अपना नजरिया भी जाहिर किया। उन्होंने नई योजना के प्रावधानों पर प्रकाश डालते हुए एक विस्तृत प्रस्तुतीकरण दी, जैसे लागत मानदंड में 2.5 गुना की वृद्धि,आवेदन की प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करना, उनकी कुल लागत का 75% से 90% तक परियोजनाओं का वित्तपोषण बढ़ाना, विशेष क्षेत्रों के लिए विशेष लाभ प्रदान करना। मसलन लेफ्ट विंग प्रभावित जिलों में लाभार्थियों की निर्धारित सीमा को हटाना आदि। उनकी राय की सम्मेलन में मौजूद लोगों ने सराहना की।


 टी.सी.ए. कल्याणी ने अपने संबोधन में कहा कि दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग ने दिव्यांगजनों के समग्र सशक्तिकरण के लिए अथक प्रयास कर रहा है। उन्होंने यह सुनिश्चित करने के लिए वित्तीय निधियों के प्रयोग की आवश्यकता पर जोर दिया कि यह सुनिश्चित हो कि सरकारी फंड का उपयोग किस उद्देश्य के लिए किया जा रहा है। महाराष्ट्र के प्रमुख सचिव (कल्याण)  दिनेश वाघमारे ने भी सम्मेलन को संबोधित किया और जिन्होंने अपने विचार साझा किए और कहा कि विकलांगता पर नए अधिनियम को सरकार द्वारा बढ़ावा दिया गया है। यह भारत में विकलांग व्यक्तियों के अधिकारों को समाज में सुनिश्चित करेगा। उन्होंने बताया कि महाराष्ट्र सरकार राज्य में इसके प्रभावी कार्यान्वयन के लिए आरपीडब्ल्यूडी अधिनियम 2016 के तहत नियम बना रही है। निदेशक विकास प्रसाद ने योजना को लागू करने के लिए विस्तृत प्रक्रिया पर एक प्रस्तुति भी दी। इन दोनों प्रस्तुतियों के बाद गैर सरकारी संगठनों के साथ बातचीत का एक सत्र भी रखा गया था जिसमें काफी कुछ स्पष्ट हो गया।


भारत सरकार की डीडीआरएस योजना पर दिन भर के विचार-विमर्श के दौरान विभिन्न एजेंसियों के प्रतिनिधियों ने अपने विचार साझा किए कि योजना को बेहतर तरीके से कैसे लागू किया जा सकता है ताकि इसका लाभ लक्षित व्यक्ति तक कतार में खड़े अंतिम व्यक्ति तक पहुंच सके। यह सम्मेलन सुशासन की दिशा में एक प्रभावी कदम था जहां केन्द्रीय सरकार के मंत्रालय जनता के बीच जागरूकता पैदा करने के लिए देश के विभिन्न हिस्सों में पहुंच रहे हैं। यह दिव्यांगजनों के कल्याण और उनकी गरिमा को सुनिश्चित करने की दिशा में अंतिम उद्देश्य को हासिल करने की तरफ ले जाता है।