देश के मालधारीधनगर समाज का संगठन बढ़ाना जरूरी-बापूसाहेब शिंदे


मैहसाना (गुजरात): मालधारी धनगर भारत की जनसंख्या दस प्रतिशत है। हम भारत के हर प्रदेश मे है लेकिन पिछले दो दशकों से हम अपनी सामुदायिक भुमी काँमन्स,गोचर,ओर चारागाह की भुमी खोते जा रहे है। हमे उल और दुध का वास्तविक दाम नही मिलता, और सन्मान जीने को सुनिश्चित करनेवाले हमारे सब संसाधनो पर खतरा है। हमारी संस्कृति, रीति रिवाज, परम्पराए से हम दूर जा रहे हैइसलिए मालधारी धनगरों का भारत स्तर पर संघठन जरूरी है। ऐसा निवेदन एंव सुझाव धनगर समाज संघर्ष समिती के महाराष्ट प्रदेशाध्यक्ष बापुसाहेब शिदे जी ने मालधारी धनगर परिषद में किया। समाज को संबोधित करते हुए उन्होने कहा की, समाज के लिए राष्टीय मंच की आवश्यकता है महाराष्ट के बारे में बताते हुए कहाँ की, महाराष्ट में समाजिक संघटन बहुत तेजीसे बढता जा रहा है।


शिक्षा स्तर अच्छा है। कुछ दिन पहले महाराष्ट्र सरकार ने एक हजार करोड़ रुपये मालधारी धनगरों के लिए दिया है। इन्हमें 13 योजनाएँ बनी हैऔर सारे मुद्दे के लिए डा.महात्मेजी के नेत्रुत्व में समिती लढ रही है। इसे भी जल्द सफलता मिलेगी । ऐसा संघटन पुरे देश में होना जरुरी हैमालधारी धनगर महिला संघटन के गिताबेन रबारी ने कहाँ की,2014 में मारग ने मालधारी महिलाओ को संगठित और सामाजिक, आर्थिक व सांस्कृतिक रुप से सशक्त करने की प्रक्रिया शुरु कि, जिसमें 30 हजार महिलाएँ काम कर रही है। यावेळी हजाभाई, दशरथ भाई, दिनेश भाई (गुजरात), नरेशजी (गुजरात) जिवनभाई (गुजरात ) नोरूगु लडाख, श्रीमती पवनाबेन हिमाचल, विद्याजी उतराखंड, महाराष्ट्र से मारूती घुटूकडे, सुदाम लोंढे, सुरेश सरग कंबल महाराज कर्नाटक आदि प्रतिनिधियों ने आपने सुझाव और निवेदन किया। माल भावनाबेन, शैलेश भाई इन्होने कार्यक्रम आयोजन किया। सम्मेलन में लद्दाख कर्नाटक, उतरांचल, बिहार, यूपी. राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात महाराष्ट्र, हिमाचल, गुजरात, उतराखंड, दिल्ली, तमिलनाडु से मालधारी धनगर समाज के प्रतिनिधि मौजूद थे ।