नकली खाद्य पदार्थ नागरिकों के स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा


नई दिल्ली : नकली खाद्य पदार्थ पूरी तरह अवैध हैं। इनकी अनिवार्य गुणवत्ता जांच नहीं हो पाती और ये नागरिकों के स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा बन गए हैं। इस समस्या का प्रभावी समाधान आवश्यक है। ये बात स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण की सचिव प्रीति सूदन ने आज राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के प्रधान सचिवों को वीडियों कांफ्रेंसिंग के जरिये संबोधित करते हुए कही।


दिल्ली उच्च न्यायालय ने 19 अगस्त, 2019 के अपने फैसले में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण सचिव को राज्य सरकारों के खाद्य सुरक्षा विभागों तथा एफएसएसएआई के साथ बैठक करने का निर्देश दिया है। बैठक में नकली खाद्य पदार्थों को प्रभावी तरीके से रोकने पर विचार-विमर्श किया जाना है। इस बैठक की रिपोर्ट न्यायालय में जमा की जाएगी। उच्च न्यायालय के आदेश के तहत यह वीडियों कांफ्रेंस आयोजित हुआ।


सचिव  प्रीति सूदन ने प्रधान सचिवों को पुलिस अधिकारियों की सहायता से समय-समय पर खाद्य पदार्थों की जांच करने का अनुरोध किया ताकि इस समस्या पर काबू पाया जा सके। त्योहार के समय निगरानी की अधिक आवश्यकता है। खाद्य सुरक्षा से संबंधित गतिविधियों के लिए आवश्यक मानव संसाधन की उपलब्धता होनी चाहिए। राज्य सरकारों को खाद्य सुरक्षा अधिकारियों तथा विभागों में आवश्यक पदों की पहचान करनी चाहिए और उन्हें भरा जाना चाहिए। प्रयोगशालाओं में तकनीकी पदों की पहचान की जानी चाहिए और उन्हें भरा जाना चाहिए। प्रधान सचिवों को खाद्य आयुक्तों को खाद्य सुरक्षा व मानक अधिनियम, 2006 को लागू करने से संबंधित निर्देश देने चाहिएं। नकली खाद्य उत्पादों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए और इस संबंध में लोगों को जागरूक बनाया जाना चाहिए। राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के सचिवों को गतिविधियों/कार्रवाइयों की समीक्षा करनी चाहिए और इस संबंध में एफएसएसएआई को सूचना देनी चाहिए।


इस वीडियों कांफ्रेंसिंग में पंजाब, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, गुजरात, तेलंगाना, मणिपुर, पुदुचेरी, गोवा, चंडीगढ़, त्रिपुरा, मेघालय और हिमाचल प्रदेश आदि राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के प्रधान सचिवों ने भाग लिया। प्रधान सचिवों ने इस समस्या से निपटने के लिए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में बताया। कई राज्य खाद्य उत्पादों की गुणवत्ता और वास्तविकता के बारे में प्रत्येक शिकायत की जांच करते हैं। इसके अच्छे परिणाम मिले हैं। अधिकारियों के प्रशिक्षण और निगरानी क्षमताओं को बढ़ाने पर चर्चा हुई। प्रधान सचिवों से एफएसएसएआई की केंद्रीय परामर्शदात्री समिति की बैठकों में भी भाग लेने का अनुरोध किया गया।