चीन के बुहान शहर में कोरोना विषाणु पनपने से मची तबाही के बाद कंपनियों ने चीन से भागना शुरू कर दिया लिए है। ऐसे में यह भारत के लिए एक बड़ा मौका है अपनी आर्थिक दशा सुधारने और विश्व गुरु बनने का। गौरतलब है कि चीन और अमेरिका के बीच चल रही व्यापारिक तनातनी गहराने के कारण कुछ महीने पहले ही अमेरिका ने तकरीबन दो सौ अरब डॉलर के चीनी सामान पर कर बढ़ा कर पच्चीस फीसद कर दिया। इसकी प्रतिक्रिया में चीन ने भी साठ अरब डॉलर के अमेरिकी सामान पर आयात कर बढ़ा दिया थाअब वह व्यापारिक युद्ध एक निर्णायक मोड़ पर आ गया है। चूंकि अमेरिका बार-बार कह रहा है कि चीन से कोरोना का निकलना संयोग नहीं, बल्कि उसकी साजिश है। वहीं चीन कह रहा है कि अमेरिकी सेना ने चीन को बर्बाद करने के लिए वुहान में कोरोना वायरस फैलाया है। ऐसे में दोनों महाशक्तियों के बीच आने वाले समय में विवाद बढ़ने वाला है।
अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव नजदीक है। कोरोना के कारण अमेरिकी अर्थव्यवस्था चरमरा गई है। वहां बेरोजगारी लगातार बढ़ रही है। ऐसे में डोनाल्ड टप अपने बचाव के लिए सिद्ध करने में जटे हैं कि चीन ने अमेरिकी अर्थव्यवस्था को बर्बाद करने के लिए एक जैविक जंग की शरुआत की हैअमेरिकी राष्ट्रपति ने अपने यहां की कंपनियों से आग्रह किया है कि वे जल्द से जल्द चीन छोड़ कर किसी अन्य देश में अपना व्यापार स्थापित कर लें। इसका असर भी दिखने लगा है। हाल में जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने भी जापानी कंपनियों से आग्रह किया है कि वे जल्द से जल्द चीन से अपना कारोबार समेटना शुरू कर दें। गौरतलब है कि शिंजो आबे ने जापानी कंपनियों को वापस जापान लौटकर उत्पादन शुरू करने के लिए दो अरब डॉलर का विशेष आर्थिक मदद देने का प्रलोभन दिया है, तो वहीं चीन छोड़ कर किसी अन्य देश में व्यापार स्थापित करने पर 21.5 करोड़ डॉलर।
ठीक यही हाल यूरोप के देशों का भी है। इसके लिए भारत सरकार को कॉर्पोरेट कर की प्रभावी दर को वैश्विक बाजार के अनुकूल करना होगा, साथ ही केंद्र और राज्य सरकारों को आपस में मिलकर अपनी औद्योगिक और श्रमिक नीतियों में कुछ बदलाव लाना होगा, जिससे चीन छोड़ कर भाग रहीं विदेशी कंपनियों को भारत की ओर आकर्षित किया जा सकेअगर भारत सरकार ऐसा करने में सफल होती है, तो आने वाले समय में भारत वैश्विक विनिर्माण का केंद्रबिंदु बन जाएगा और भारतीय अर्थव्यवस्था को 2025 तक पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का हमारा लक्ष्य पूरा हो जाएगाहमारे पास दुनिया का सबसे बड़ा युवा वर्ग बेरोजगार है, ऐसे में इन कंपनियों के आने से भारत में बेरोजगारी कम होगी और सुस्त पड़ी भारतीय अर्थव्यवस्था को भी संजीवनी मिल जाएगी।
• आकाश सिंह, इलाहाबाद विवि, प्रयागराज