पाल समाज ने आयोग के अध्यक्ष को ज्ञापन दिया - पंकज पाल

राष्ट्रीय विमुक्त, घुमन्तु एवं अर्द्ध घुमन्तु जनजाति आयोग के अध्यक्ष श्री भीकुराम इदाते ने दिल्ली रवाना होने से पहले होटल नवलेरी में विमुक्त समाज के प्रतिनिधियों की बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि विमुक्त, घुमंतु व अर्द्ध घुमन्तु जनजातियों को न्याय दिलाना आयोग की प्राथमिकता रही है, एक ही जाति को अलग-अलग प्रदेशो में भौगोलिक स्थिति, सामाजिक परिस्थिति, जनसंख्या के आधार पर, भिन्नता के आधार पर अलग अलग कैटेगिरी में शामिल किया गया। है, हमारा प्रयास है कि जो समाज विमक्त जनजाति में आने से रह गए हैं, उन्हें त्रि कराया जा सके। ने कहा कि हमने 3 वर्षों में देशभर में घूम-घूमकर विमुक्त एवं घूमन्तु जातियों को चिन्हित किया, इन जातियों की समस्याओं, रहन-सहन, शिक्षा की स्थिति, आर्थिक स्थिति एवं संख्या आदि बातों का विश्लेषण किया। इन परिवारों के बीच जाकर वास्तविकता का अध्ययन किया। देशभर के 2050 से अधिक संगठनों से पत्र मिले, उन पत्रों के माध्यम से हमने समस्याओं को सुलझाने का प्रयास किया। हमने इसका जिक्र आयोग से प्रकाशित पुस्तकों में भी किया



है। हमने देश को 6 जोन में बाटा था, इन 6 जोनों का दौरा कर विमुक्त एवं घुमन्तु जातियों की जमीनी हकीकत को समझने का प्रयास किया। पिछले कमीशन की रिपोर्टों का भी अध्ययन किया, विमुक्त एवं घुमंतू जातियों के लिए देश भर में कार्य कर रहे विद्वानों से भी जानकारी एकत्रित की, इस आधार पर हमने 150 पेज की एक अंतरिम रिपोर्ट की, जो 7 जून को केंद्र सरकार को सौपी है। अंतरिम रिपोर्ट के आधार पर ग्राउंड लेबल रिपोर्ट तैयार करने का काम 4 सर्व एजेसियों को दिया गया है, जो अपनी रिपोर्ट हमे सौपेगी, उसके आधार पर हम फाइनल रिपोर्ट सरकार को सोपेंगे। इस अवसर पर भाजपा नेता वरुण पाल, पाल समाज के अध्यक्ष नंदकिशोर पाल, महादेव पाल, मन्नुराम पाल, लोधी समाज अध्यक्ष मोहन नरवरिया, बंजारा समाज के प्रतापसिंह राठौर, मलखान सिंह आदि उपस्थित थे। पाल समाज का प्रतिनिधि मंडल होटल नवलेरी में भाजपा नेता वरुण पाल, अध्यक्ष नंदकिशोर पाल के नेतृत्व में विमुक्त एवं घुमन्तु जनजाति आयोग के राष्ट्रीय अध्यक्ष से मिला। घुमन्तु जनजाति में शामिल कर अनुसूचित जनजाति में शामिल करने की मांग ज्ञापन के माध्यम से बताया कि पाल समाज का मुख्य व्यवसाय पशु (भेड़-बकरी) पालन है। पशु पालन के लिए एक स्थान से दूसरे स्थान पर जीवनयापन के लिए निर्भर रहना पड़ता है। इसलिए पाल समाज को घुमन्तु जनजाति में शामिल कर अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिया जाए। इस अवसर पर मन्नुराम पाल, महादेव पाल, विष्णुकांत पाल, हरिशंकर पाल, हरिनारायण वर्मा, प्रमोद पाल आदि उपस्थित थे।