ब्रह्म ब्रह्मलीन योगिराज देवरहा बाबा


बच्चा साधु की कोई जात नहीं होती ,गौ माता की सेवा परम सेवा *श्री श्री श्री श्याम सुंदर  दास जी महाराज


जनार्दन कुशवाहा


प्रतिनिधि, भागलपुर देवरिया : जनपद की दक्षिणांचल में सरयू के पावन सलिला  तट पर बबूल बन स्थित कास्ट मंच पर विश्व संत सम्राट  योगिराज देवरहा बाबा की कर्म स्थली है या आज भी श्रद्धालुओं का जमावड़ा लगा रहता है देवराहा बाबा के चरण रज पड़ते ही बबुल बन देव नगरी के रूप में हो जाती थी भारत जब गुलाम था, उसी का ल में इस देव नगरी का अभ्युदय हुई थी। वर्तमान समय में बाबा के परम शिष्य श्री श्री 1008 श्यामसुंदर दास जी महाराज आज का कास्ट मंच पर विराजमान है उन्होंने बताया कि गौ सेवा सर्व धर्म की  संज्ञा महाराज जी दिया करते थे । म ई लचौराहा बाबा सरजू नदी के तट के किनारे होते हुए रात्रि के समय म ई ल गांव में पहुंचे थे उस समय देवराहा बाबा नंग धड़ंग वेशभूषा में थे । मृग का छालउनके तन पर   आवरण था।


मईल गांव के रामरेखा चौधरी के घर पर रामचरितमानस की कथा चल रही थी उसी कथा में देवराहा बाबा ने कथा श्रवण करना शुरू कर दिया और वही रात्रि विश्राम किया इसके बाद सरयू नदी के किनारे तपस्या करने लगे। तपस्या करने मे चारवाहे बाधा उत्पन्न करते थे इसलिए वे सरयू के किनारे पीपल के वृक्ष की जड़ में जमीन की नीचे जाकर तपस्या करने लगे। सुरंग से ही उनकी तपस्या पूर्ण हुई वे जहां पर तपस्या करते थे वहां पर मौजूद गुफा के नाम से विशालकाय मंदिर का निर्माण हुआ और देवराहा बाबा दियारा क्षेत्र में नदी के बीचो-बीच अपनी एक मचान बनवाई जहां वे लोगों को दर्शन दिया करते थे । उसी बीच मचान के निर्माण के बाद से ही नदी ने अपना रूप दक्षिण की तरफ 1 किलोमीटर दूर चली गई यह बात लोगों में विश्वास कर गईऔर धीरे-धीरे बाबा का प्रचार तेजी से बढ़ने लगा । बाबा का प्रचार इतना बढ़ गया कि देश के कोने-कोने से लोग दर्शन के लिए आने लगे और दियारा के रास्ते से ही बबूल बन कतीली झडियो में जाकर के बाबा के अमृत वाणी से कृत कृत होने लगे।


दर्शन के दौरान में ही देव रहा बा बा के सानिध्य में सर्वप्रथम से निरंजन दास जी रहे जो भक्तों की व्यवस्था के लिए सदैव तत्पर रहते थे उसके पश्चात एक 108 गोकुल दास जी महाराज मंच के मुख्य संचालक बने बाबा ने कहा था कि बच्चा साधु की कोई जात नहीं होती बहुत कृपा और गौ माता की निरंतर सेवा करो विश्व कल्याण हो जाएगा । बाबा पतित पावन थे बाबा प्रत्येक साल अमावस्या को इलाहाबाद कुंभ  स्नान 1954 से जाने लगे थे इलाहाबाद के प्रचार प्रसार से बाबा वृंदावन में  हरिद्वार तथा बनारस के अस्सी घाट पर बराबर आने जाने लगे थे बाबा के पावन धाम मईल में 1961 व 1974 में विष्णु महायज्ञ हुई जो राष्ट्रीय स्तर की महत्वपूर्ण यज्ञ थी जिसमे भक्तों राजनेताओ ने भाग लिया था इस यज्ञ में   राजर्षि पुरुषोत्तम टंडन, डॉ राजेंद्र प्रसाद प्रथम राष्ट्रपति, मंगल राय पहलवान, पंडित जवाहरलाल नेहरू ,पं जगरनाथ मिश्रा,प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी । भारत सरकार 1961 में रतनेकर जी बाबा के दर्शन में आए थे भारत की प्रथम महिला प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने इमरजेंसी के बाद बाबा से आशीर्वाद ली थी जिस पर बाबा ने गौ हत्या पर रोक लगाने की बात कही थी योगीराज के दर्शन के बाद पंजे को अपना चुनाव निशान बनवाई। कास्ट मंच की महत्ता बढ़ चुकी थी बाबा को शिष्यों की क्षति होने के बाद अपार कष्ट हुआ था और 1990 में अपने शरीर का त्याग करने की बात कही थी । बाबा ने 1990 में वृंदावन धाम में दशा शीश से    प्राण का त्याग किया जहां भारत के पूर्व प्रधानमंत्री  अटल बिहारी बाजपेई भी पहुंचे थे बाबा का मंदिर बना हुआ है । आज भी भक्तों का दर्शन होता है देवरहा बाबा के कृपा से ही लार रोड स्टेशन का निर्माण हुआ था , आज भी देवराहा बाबा के नाम से भी जाना जाता है आज भी हजारों की संख्या में बाबा के भक्तों की तादाद मईल के बबूल बन में थमने का नाम नहीं देती बाबा की कृपा से आज भी लोगों के बीच रोम रोम में आस्था भरती जा  रही है अब तो पर्यटन मंत्रालय द्वारा बहुत कुछ आगे बन गया है लेकिन बाबा का कहना था कि तपस्वी की शरीर काटे से निकलकर चलती है, जो बाद मे फुलो की तरह आज भी भक्तों की सेवा में श्री श्री 1008 श्याम सुंदर जी महाराज लगे हुए हैं और वही नृत्य भजन कीर्तन पूजा अर्चन तथा दर्शनार्थियों का जमावड़ा लगा हुआ है।


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