दिल्ली में ‘बाल संरक्षण पर राष्ट्रीय विमर्श’ का आयोजन


नई दिल्ली : साल के पहले ‘बाल संरक्षण पर राष्ट्रीय विमर्श’ का आयोजन 8 जनवरी को इंडिया हैबिटेट सेंटर, नई दिल्ली में महिला और बाल विकास मंत्रालय सचिव की अध्यक्षता में किया गया। विमर्श का आयोजन राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा बाल संरक्षण संस्थाओं की निगरानी की वर्तमान स्थिति की जानकारी लेने के लिए किया गया था। इसमे बाल संरक्षण के विभिन्न पहलुओं की जानकारी लेने के साथ ही बाल संरक्षण संस्थाओं में सुधार के लिए राज्यों द्वारा उठाए गए कदम का जायजा लिया गया।


 इस बैठक में 33 राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों के प्रतिनिधि, राज्यों के महिला और बाल विकास विभाग या सामाजिक कल्याण विभाग के वरिष्ठ अधिकारी और राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों के वरिष्ठ नोडल पुलिस अधिकारी (महिला और बाल विकास के लिए) मौजूद रहे। बैठक में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) के प्रतिनिधियों के साथ ही 17 राज्यों के राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एससीपीसीआर) के प्रतिनिधि, केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण (सीएआरए), राष्ट्रीय जन सहयोग और बाल विकास संस्थान (एनआईपीसीसीडी) और चाइल्डलाइन इंडिया फाउंडेशन (सीआईएफ) के अलावा मंत्रालय के अधिकारी भी मौजूद रहे।


 सभी राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों ने सुरक्षा व्यवस्था में सुधार करने, बाल विकास समिति (सीडब्ल्यूसी) और किशोर न्याय बोर्ड (जेजेबी) की रिक्तियों को भरने के साथ ही इसके लिए उठाए गए दूसरे कदमों की जानकारी दी। विवेचना के दौरान ये पाया गया कि अलग अलग कमियों की वजह से राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों ने पिछले साल कई संस्थानों को बंद कर दिया। आंध्र प्रदेश जैसे कुछ राज्यों ने बताया कि वो संस्थानों को ग्रेड देने की शुरुआत कर चुके हैं। राज्यों ने ये भी सूचित किया कि उन्होंने बाल संरक्षण संस्थानों को चलाने वाले संगठनों की पृष्ठभूमि की जांच और वहां कार्य करने वालों का पुलिस सत्यापन भी शुरू कर दिया है। महिला और बाल विकास, राज्य पुलिस विभाग, राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग समेत बाल संरक्षण से जुड़ी सभी संस्थाओं को मिलकर कार्य करने को लेकर भी बातचीत हुई। इससे बाल संरक्षण गृह की निगरानी संभव हो सकेगी। महिला और बाल विकास मंत्रालय के सचिव ने राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा इस दिशा में उठाए गए कदमों की सराहना करने के साथ ही उन्हें सावधान भी किया कि इस संबंध में लगातार निगरानी करते रहना होगा ताकि बच्चों का हित सुरक्षित रहे।  विमर्श के आखिर में सभी राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों को आग्रह किया गया कि इस संबंध में जो भी कमियां पाई जाती हैं उन्हें तुरंत दूर की जाए और मई-2019 में होने वाली अगली तिमाही बैठक में अपडेट के साथ रिपोर्ट प्रस्तुत करें।