मंत्रों की वैज्ञानिक व्याख्या


मंत्र पूर्ण रूप से वैज्ञानिक है। अधिकतर व्यक्ति मंत्रों के प्रति असीम श्रृद्धा व ज्ञान तो रखते हैं। मंत्र, मन से उत्पन्न होता हैस्वर के माध्यम से मंत्र उर्जित होता है। मंत्रों के द्वारा भौतिक, आध्यात्मिक व मानसिक परिवर्तन सम्भव है। मंत्र के प्रत्येक अक्षर का विशेष महत्व है। लगभग प्रत्येक मंत्र के आगे उल्लिखित “ऊँ' अखिल व विराट ब्रहम का प्रतीक है। अक्षर अक्षय यानि अजर व अमर है आत्मा के समान। शब्द के माध्यम से वायुमण्डल में जो उतर आया, वह जन्म जन्मान्तर तक ब्रह्मण्ड में व्याप्त हो गयावायुमण्डल में शब्द व अक्षर सदैव गुंजायमान रहते हैं। प्रत्येक शब्द वायुमण्डल में विशिष्ट तंरगों से गुजरता हैइन सूक्ष्म तंरगों का अनुभव कर पाना अत्यधिक दुष्कर कार्य हैकिन्तु ध्यान, अतीव संवेदनशीलता व एकाग्रचित्त की स्थिति में इन तरंगों का अनुभव करना संभव है। आध्यात्मिक व मानसिक शक्ति सम्पन्न व्यक्ति मंत्रों की ध्वनि तरंगों से उत्पन्न चमत्कारिक प्रभाव से परिचित हो जाते हैं।


उदाहरणार्थ - जब कोई मधुर संगीत गीत किसी वाद्य यंत्र या मुंह के माध्यम से वायुमण्डल में गूंजता है तो इससे ४ वनि तरंगे उत्पन्न हो जाती हैं। ये तरंगे वायुमण्डल में सर्वत्र व्याप्त हो जाती हैं। वैज्ञानिकों ने शक्तिशाली ध्वनि तरंगों का पता यांत्रिक विधि से बहुत पहले ही लगा लिया है। विशिष्ट फ्रीक्वेंसी पर हम ध्वनि तरंगों के माध्यम से कार्यक्रम अपने रेडियों या ट्रांजिस्टर के माध्यम से प्राप्त करते हैंरेडियो या ट्रांजिस्टर पर इच्छुक व्यक्ति गीत व संगीत का आनन्द लेते हैं। इस प्रकार प्रकाश तरंगे भी वायुमण्डल में प्रवाहित होती हैं जिन्हें उच्च एंटीनाओं व यंत्रों के माध्यम से वायुमण्डल में प्रसारित किया जाता है। इन प्रकाश व ध्वनि तरंगों को हमारा टेलीविजन सैट प्राप्त करता है और तब एंटीना लगाकर जीवंत कार्यक्रमों का आनन्द लेते हैं।


इसी प्रकार मंत्रों का प्रभाव भी दृष्टिगत हैजब कोई मंत्र मुंह से अधर व ध्वनि के द्वारा निकलता है तो वह वायुमण्डल में सर्वत्र व्याप्त हो जाता है। प्रत्येक मंत्र का विशिष्ट अर्थ व ध्येय होता है। तदनुसार मंत्र का विशिष्ट प्रभाव होता है। कोई व्यक्ति जिसे ध्येय से मंत्र का जाप मनोयोग से नियमित रूप से करता है, वह उस ध्येय को अवश्य प्राप्त करता है। व्यक्ति भौतिक विश्व का प्राणी है। इसलिए भौतिक ऋद्धि-सिद्धियों, सफलताओं कामनाओं की प्राप्ति के लिए मंत्रों का जाप किया जाता है। मंत्र उस व्यक्ति की सिद्धि में सहायक सिद्ध होता है। मानसिक विश्व में जैसा परिवर्तन होता है, वैसा ही परिवर्तन भौतिक विश्व में भी हो जाता है।


वैज्ञानिक ध्वनि व अक्षरों के प्रभाव को तो मान्यता देते हैं लेकिन वे मंत्रों में निहित शक्ति प्रभाव व ऊर्जा को मानने को तैयार नहीं है। वैज्ञानिकों व अनुसंधानकर्ताओं ने अपनी कई शोधों के द्वारा यह तो सिद्ध कर दिया है कि गीत व संगीत का चमत्कारी प्रभाव मनुष्य पर ही नहीं, पशु-पक्षियों व पौधों पर भी होता है। संगीत व ध्वनि का चमत्कारी प्रभाव मन व शरीर पर पड़ता है। विडंबना है कि वैज्ञानिकों ने मंत्रों की प्रभावी जांच की दिशा में विशेष प्रयत्न नहीं किये हैं। मंत्रों की शक्ति ध्वनि के रूप में विशिष्ट तरंगों को उत्पन्न करती है जिसका चमत्कारी प्रभाव भौतिक विश्व पर पड़े बिना नहीं रह सकता। मंत्र ध्यान व एकाग्रचित्तता के माध्यम से लक्ष्य की प्राप्ति के लिए मन को केन्द्रित करते हैंमंत्र शक्ति व ऊर्जा प्रदायक हैं। मंत्रों का उचित ढंग से प्रयोग कर मनुष्य असंभव प्रतीत होने वाले कार्य भी संभव बना डालता है। दुख की बात यह है कि आधुनिक युग में मंत्रों की वास्तविक शक्ति को विस्मृत किया जा रहा हैभौतिक युग की चकाचौंध व आपाधापी ने आध्यत्मिक शक्ति के प्रभाव को प्रायः भुला दिया है। आज विश्व में दुख, कष्ट, निराशा, तनाव, असंतोष, युद्ध, अशांति व हिंसा का वातावरण है। आज का मानव शांति व सुरक्षा के लिए यत्र-तत्र भटक रहा हैमानसिक अशांति, तनाव व कुंठा से उत्पन्न कुप्रभावों ने नवीन शारीरिक व मानसिक व्याधियों व कष्टों को जन्म दिया है जिसके निवारण के लिए आध्यात्मिक मूल्यों के प्रचार प्रसार की नितान्त आवश्यकता है।


मंत्र शक्ति का प्रभाव विलक्षण होता है। मंत्र शक्ति समग्र वायुमण्डल में सर्वत्र व्याप्त है। जैसे आतशी शीशे से यदि सूर्यकिरणों को एकत्रित किया जाये तो इसके प्रभाव से इतनी उष्मा उत्पन्न हो जाती है कि वह कागज के टुकड़े तक को जला डालती है, उसी प्रकार नियमित रूप से विधि-विधानपूर्वक एकाग्रचित्त होकर जप करने से यह उर्जित हो जाती है। मंत्रों को शुद्ध रूप से जपने पर मनुष्य इच्छित व मनोवांछित असंभव कार्य तक कर डालते हैंमंत्रों में जो अक्षर होते हैं, उनका विशिष्ट प्रभाव होता हैं। मंत्र तरंगे विद्युत धारा की तरह से प्रवाहित होती हैमंत्र की विशिष्ट तरंगे वायुमण्डल में पहुंचकर इसकी अतिसंवेदनशील सतह ईथर को प्रभावित करती है। हमारे भौतिक शरीर में एक प्रकार की विद्युत व चुम्बकीय शक्ति विद्यमान होती है। हिप्नोटिज्म व मेस्मेरिज्म का प्रयोगकर्ता शरीर में विद्यमान इस विद्युत चुम्बकीय शक्ति से भलीभांति परिचित होता है। वह अपने शरीर में स्थित अपनी चुम्बकीय शक्ति को कई गुणित कर त्राटक दृष्टि से (एकटक दृष्टि) किसी भी व्यक्ति में मूछ ला सकता है। वह लक्षित व्यक्ति से मनचाहा कार्य करा सकता है। वह व्यक्ति में जैसी विचार तरंगे प्रेषित करता है, वैसी प्रतिक्रिया सबंधित व्यक्ति में होती हैइससे मंत्र, शक्ति का प्रभाव परिलक्षित होता है।


शरीर में स्थित अप्रतिम ऊर्जा व शक्ति को मंत्रों के द्वारा प्रचंड बनाया जा सकता हैजब किसी लक्षित मंत्र का निरन्तर जाप किया जाता है तो मंत्र की ध्वनि तरंगे वायुमण्डल में व्याप्त हो जाती है। मंत्र जाप करते समय सम्पूर्ण शरीर भी तरंगित होता है। मंत्र के साथ संलग्न इच्छा व भावना बहुत महत्वपूर्ण होती हैइसी इच्छा व मानवता पर इच्छित फल की प्राप्ति संभव है। मंत्र के अक्षरों के साथ ध्वनि का उचित उच्चारण भी महत्वपूर्ण है। मंत्र मानसिक शक्तियों को जागृत कर देता है। ये गुप्त शक्तियां राख में दबी चिंगारी के समान हैं।


मंत्र गोप्य है। मंत्र के पीछे श्रृद्धा व समर्पण का भाव रहता है। मंत्र सिद्धि के लिए गुरू का होना आवश्यक माना गया है। गुरू के बिना मंत्रों का उचित फल कम ही मिल पाता है। गुरू ही मंत्र में निहित, गूढ़ रहस्यों, इसकी सार्थकता जप, विधान, उच्चारण व इसके प्रभावों के बारे में परिचित कराता है। गुरू के माध्यम से शिष्य मंत्र का निरन्तर जाप कर इसके अभ्यास में आने वाली त्रुटियां को दूर करता हैसाधक यदि मंत्र जप के विधान से परिचित हो तो जप के अभ्यास में बुराई नहीं है लेकिन साधक को उचित माध्यम से मार्गदर्शन अवश्य लें तो अच्छा है। मंत्रों की गुप्त शक्ति विलक्षण कार्य करती है। हमारी चेतना पर शब्द की शक्ति का बहुत प्रभाव पड़ता हैचेतना के स्तर पर तो क्रांतिकारी परिवर्तन होते हैं। उनका प्रभाव भौतिक विश्व पर पड़ता है। व्यक्ति का जैसा चिंतन होगा वैसा ही वह कर्म करेगा, कर्म के अनुसार ही परिणाम होगामंत्र साधक को कर्मनिष्ठ व धर्मनिष्ठ बनाता है। मंत्र मार्ग में आने वाली समस्त बाधाओं को दूर करता है। शुभा मंत्र साधक को कर्मनिष्ठ व धर्मनिष्ठ बनाता है। मंत्र मार्ग में आने वाली समस्त बाधाओं को दूर करता है। शुभ मंत्र समस्त मानसिक विकारों व दुष्प्रवृत्तियों का शमन करते हैं। मंत्रों के द्वारा जीवन में क्रांतिकारी परिवर्तन संभव हैशुभ उद्देश्य वाले मंत्र शुभ परिणाम देते हैं व अशुभ मंत्रों का अशुभ व दुखदायी परिणाम होता है। मंत्र शरीर व मन की शक्तियों को कई गुणित कर देता है। मंत्र वैज्ञानिक तथ्य है। उन पर अविश्वास करना मूर्खता है।


जन पूर्वांचल , फरवरी 2017