एयरपोर्ट से पोर्ट लुईस की तरफ जाते हुए भारत में पश्चिमी उत्तर प्रदेश की तरह दूर-दूर तक फैले हुए गन्ने के विस्तृत खेत, महाराष्ट्र के खेतों की तरह काली मिट्टी के खेत, कोंकण और केरल के बरसाती गांवों जैसे गांव के परिदृश्य, बिहार के आरा के किसी गांव की तरह भोजपुरी बोलते लोग। यह सब देखकर लग रहा था कि मानो इसीलिए मॉरीशस के बारे में कहा जाता है कि भारत से दूर एक और भारत है। लघु भारत, अपना भारत। जहां पंचवटी भी है और चित्रकूट भी, गंगासागर भी है और इन्हें मानने वाले खुशमिजाज लोग भी । मॉरीशस के किसी गांव में आपको विशुद्ध भारतीय परिधान साड़ी पहनकर झूमर, सोहर, कजरी या रतवाई गाती हुई महिलाएं दिखें, तो आश्चर्यचकित मत होइए। मॉरीशस के एक प्रसिद्ध लेखक का मानना है कि ये महिलायें ही हैं, जिन्होंने हमारे संस्कारों, परंपराओं, भाषाओं और हमारे भीतर भारत को जिंदा रखा है। हर घर के बाहर तुलसी के चौरे पर जलने वाला दिया हमें हमारे अतीत से जोड़े रखता है। दुनिया के बीच डेस्टिनेशन में जिन जगहों को मुख्य रूप से गिना जाता है उनमें मॉरीशस टॉप पर है। हिंद महासागर के नीले गहरे पानी में स्थित मॉरीशस अनूठा है। रंग, संस्कृति और स्वाद में जो विविधता यहां है, वह यहां गुजारे पलों को यादगार बना देती है। इसकी भौगोलिक स्थिति ऐसी है कि लगभग पूरे साल यहां का मौसम लगभग एक सरीखा रहता है।
ना बहुत ज्यादा गर्मी पड़ती है और न ज्यादा ठंड। दिसंबर से मार्च के महीने सबसे ज्यादा बारिश वाले होते हैं, इसलिए उनको छोड़कर बाकी पूरे साल यहां कभी भी जाया जा सकता है। मॉरीशस के सफेद रेतीले तट कोरल रीफ बैरियर से सुरक्षित हैं। यहां का लगभग समूचा तट कोरल रीफ से घिरा है, सिवाय दक्षिणी सिरे के कुछ अपवाद को छोड़कर। इसीलिए बाकी तटों पर समुद्र जहां शांत होता है, वहीं दक्षिणी हिस्से में वह बहुत अशांत है। वहां चत्रनी तट पर समुद्र की पछाड़ें देखकर आप मुग्ध हो सकते हैं। मॉरीशस के मुख्य द्वीप के चारों ओर कई छोटे-छोटे निर्जन द्वीप भी हैं। हम भारतीयों के लिए मॉरीशस उन जगहों में से है, जहां से हमारा भावनात्मक लगाव है। हमारी संस्कृति साझी है और लोग भी। राजधानी पोर्ट लुई पश्चिमी तट पर स्थित है। उत्तर का इलाका मैदानी है और यहां देश के कई सबसे खूबसूरत बीच हैं। समुद्र तटों की रंगीनियत भी सबसे ज्यादा इसी इलाके में है। वहीं पूर्वी मॉरीशस के समुद्र तट सुकून से कुछ पल बिताने के लिए हैं। यहां के समुद्र तट की खूबसूरती खोह और लैगून में हैं। यहां ब्लू बे और बेले मेरे सबसे लोकप्रिय समुद्री इलाकों में से हैं।
उधर पश्चिमी और दक्षिण-पश्चिमी तट रोमांच प्रेमियों के लिए स्वर्ग हैं। यहां आप सर्फिग, स्नोर्कलिंग, डीप शी फिशिंग, जैसे ज्यादातर समुद्री खेल का आनंद आप ले सकते हैं। यहां टेमेरिन बे के आसपास आप डॉल्फिन भी देख सकते हैं। दक्षिणी इलाके का रंगरूप बाकी देश से पूरी तरह अलग है। ग्रिस-ग्रिस ही मॉरीशस के समुद्री तट का अकेला ऐसा इलाका है जहां कोरल रीफ नहीं हैं। वहां किनारे ऊंची पहाड़ियां और गहरी खाइयां देखने को मिल जाएंगी। मॉरीशस का भीतरी इलाका संस्कृति के विभिन्न रंगों से रंगा है। यहां की शिवरात्रि आपको भारत की शिवरात्रि जैसी ही लगेगी।
कैसे जाएं: मॉरीशस के लिए दिल्ली व मुंबई आदि शहरों से कई एयरलाइंस की उड़ानें हैं। दिल्ली से मॉरीशस की सीधी उड़ान लगभग साढ़े सात घंटे का समय लेती है। कई उड़ानें दुबई के रास्ते भी हैं। मॉरीशस का वापसी किराया दिल्ली से 26 हजार रुपये से शुरू हो जाता है। मॉरीशस जाना बेशक महंगा है लेकिन वहां रुकने के लिए लग्जरी रिजॉर्ट के अलावा बजट होटल भी बड़ी आसानी से मिल जाएंगे।
अभिषेक जैन