क्या आप जानते हैं कि मुंह से गंदी बदबू आना भी लीवर की खराबी हो सकती है। क्यों चौंक गए ना? हम आपको कुछ परीक्षण बताएंगे जिससे आप पता लगा सकते हैं कि क्या आपका लीवर वाकई में खराब है। कोई भी बीमारी कभी भी चेतावनी का संकेत दिये बगैर नहीं आती, इसलिये आप सावधान रहेंयदि लीवर सही से कार्य नहीं कर रहा है तो आपके मुंह से गंदी बदबू आएगी। ऐसा इसलिये होता है क्योकि मुंह में अमोनिया ज्याद रिसता है। लीवर खराब होने का एक और संकेत है कि स्किन क्षतिग्रस्त होने एक और संकेत है कि स्किन क्षतिग्रस्त होने लगेगी और उस पर थकान दिखाई पडने लगेगी। आंखों के नीचे की स्किन बहुत ही नाजुक होती है जिस पर आपकी हेल्थ का असर साफ दिखाई पड़ता है। पाचन तंत्र में खराबी यदि आपके लीवर पर वसा जमा हुआ है और या फिर वह बड़ा हो गया है, तो फिर आपको पानी भी हजम नहीं होगा।
त्वचा पर सफेद धब्बे यदि आपकी त्वचा का रंग उड गया है और उस पर सफेद रंग के धब्बे पड़ने लगे हैं तो इसे हम लीवर स्पॉट के नाम से बुलाएंगे। यदि आपकी पेशाब या मल हर रोज गहरे रंग का आने लगे तो लीवर गड़बड़ है। यदि ऐसा केवल एक बार होता है तो यह केवल पानी की कमी की वजह से हो सकता हैयदि आपके आंखों का सफेद भाग पीला नजर आने लगे और नाखून पीले दिखने लगे तो आपको जॉन्डिस हो सकता है। इसका यह मतलब होता है कि आपका लीवर संक्रमित हैलीवर एक एंजाइम पैदा करता है जिसका नाम होता है बाइल जो कि स्वाद में बहुत खराब लगता है। यदि आपके मुंह में कड़वाहट लगे तो इसका मतलब है कि आपके मुंह तक बाइल पहुंच रहा हैजब लीवर बड़ा हो जाता है तो पेट में सूजन आ जाती है, जिसको हम अक्सर मोटापा समझने की भूल कर बैठते हैं। मानव पाचन तंत्र में लीवर एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। विभिन्न अंगों के कार्यों जिसमें भोजन चयापचय, ऊर्जा भंडारण, विषाक्त पदा को बाहर निकल ना, डिटॉक्सीफिकेशन, प्रतिरक्षा प्रणाली का समर्थन और रसायनों का उत्पादन शामिल हैं। लेकिन कई चीजें जैसे वायरस, दवाएं, आनुवांशिक रोग और शराब लिवर को नुकसान पहुंचाने लगती है। लेकिन यहां दिये उपायों को अपनाकर आप अपने लीवर को मजबूत और बीमारियों से दूर रख सकते हैं।
करे ये घरेलू कुछ उपाय :- हल्दी लीवर के स्वास्थ्य में सुधार करने के लिए अत्यंत उपयोगी होती हैइसमें एंटीसेप्टिक गुण मौजूद होते है और एंटीऑक्सीडेंट के रूप में कार्य करती है। हल्दी की रोगनिरोधन क्षमता हैपेटाइटिस बी व सी का कारण बनने वाले वायरस को बढ़ने से रोकती है। इसलिए हल्दी को अपने खाने में शामिल करें या रात को सोने से पहले एक गिलास दूध में थोड़ी सी हल्दी मिलाकरकरता है। भोजन से पहले सेब के सिरके को पीने से शरीर की चर्बी घटती है। सेब के सिरके को आप कई तरीके से इस्तेमाल कर सकते हैं- एक गिलास पानी में एक चम्मच सेब का सिरका मिलाएं, या इस मिश्रण में एक चम्मच शहद मिलाएं। इस मश्रिण को दिन में दो से तीन बार लें।
आंवला विटामिन सी के सबसे संपन्न स्रोतों में से एक है और इसका सेवन लीवर की कार्यशीलता को बनाये रखने में मदद करता हैअध्ययनों ने साबित किया है कि आंवला में लीवर को सुरक्षित रखने वाले सभी तत्व मौजूद हैंलीवर के स्वास्थ्य के लिए आपको दिन में 4-5 कच्चे आंवले खाने चाहिएपपीता लीवर की बीमारियों के लिए सबसे सुरक्षित प्राकृतिक उपचार में से एक है, विशेष रूप से लीवर सिरोसिस के लिएहर रोज दो चम्मच पपीता के रस में आधा चम्मच नींबू का रस मिलाकर चाय लीवर के स्वास्थ्य को बढ़ावा देने वाले उपचारों में से एक हैअधिक लाभ पाने के लिए इस चाय को दिन में दो बार पिएं। आप चाहें तो जड़ को पानी में उबाल कर, पानी को छान कर पी सकते हैं। सिंहपर्णी की जड़ का पाउडर बड़ी आसानी से मिल जाएगा।
लीवर की बीमारियों के इलाज के लिए मुलेठी का इस्तेमाल कई आयुर्वेदिक औषधियों में किया जाता है। इसके इस्तेमाल के लिए मुलेठी की जड़ का पाउडर बनाकर इसे उबलते पानी में डालें। फिर ठंडा होने पर छान लें। इस चाय रुपी पानी को दिन में एक या दो बार पिएं।
फीटकोंस्टीटूएंट्स की उपस्थिति के कारण, अलसी के बीज हार्मोन को ब्लड में घूमने से रोकता है और लीवर के तनाव को कम करता हैटोस्ट पर, सलाद में याअनाज के साथ अलसी के बीज को पीसकर इस्तेमाल करने से लिवर के रोगों को दूर रखने में मदद करता है। एवोकैडो और अखरोट को अपने आहार में शामिल कर आप लीवर की बीमारियों के आक्रमण से बच सकते हैं। एवोकैडो और अखरोट में मौजूद ग्लुटायन, लिवर में जमा विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालकर इसकी सफाई करता है। पालक और गाजर का रस का मिश्रण लीवर सिरोसिस के लिए काफी लाभदायक घरेलू उपाय है। पालक का रस और गाजर के रस को बराबर भाग में मिलाकर पिएंलीवर की मरम्मत के लिएइस प्राकृतिक रस को रोजाना कम से कम एक बार जरूर पिएंसेब और पत्तेदार सब्जियों में मौजूद पेक्टिन पाचन तंत्र में उपस्थित विषाक्त पदार्थों को बाहर निकाल कर लीवर की रक्षा करता है। इसके अलावा, हरी सब्जियां पित्त के प्रवाह को बढ़ाती हैं।
एक पौधा और है जो अपने आप उग आता है, जिसकी पत्तियां आंवले जैसी होती है। इन्ही पत्तियों के नीचे की ओर छोटे छोटे फुल आते है जो बाद में छोटे छोटे आंवलों में बदल जाते है। इसे भुई आंवला कहते है। इस पौधे को भूमि आंवला या भू- धात्री भी कहा जाता है। यह पौधा लीवर के लिए बहुत उपयोगी हैइसका सम्पूर्ण भाग, जड समेत इस्तेमाल किया जा सकता है तथा कई बाजीगर भुई आंवला के पत्ते चबाकर लोहे के ब्लेड तक को चबा जाते हैं। ये यकृत (लीवर) की यह सबसे अधिक प्रमाणिक औषधि है। लीवर बढ़ गया है या या उसमे सूजन है तो यह पौधा उसे बिलकुल ठीक कर देगा। बिलीरुबिन बढ़ गया है, पीलिया हो गया है तो इसके पूरे पेड़ को जड़ों समेत उखाडकर, उसका काढा सुबह शाम लें। सूखे हुए पंचांग का 3 ग्राम का काढ़ा सवेरे शाम लेने से बढ़ा हुआ वाईलीरुबिन ठीक होगा और पीलिया की बीमारी से मुक्ति मिलेगी
लिवर छोटा या फैटी होने पर अचक घरेलु इलाज- अगर आपका लिवर छोटा (LiverCirrhosis), कठोर हैं, सूजा (Fatty Liver) हुआ हैं। तो ये प्रयोग ऐसे में अचूक हैंअगर आप अनेक दवायें खा-खा कर परेशान हो गए हैं तो ये साधारण दिखने वाला प्रयोग आपके लिए अचूक साबित हो सकता है। एक बार इसको जरूर अपनाये।
एक कागजी निम्बू (अच्छा पका हुआ) लेकर उसके दो टुकड़े कर ले। फिर बीज निकालकर आधे निम्बू के विना काटे चार भाग करें पर टूकडे अलग-अलग न होतत्पश्चात एक भाग में काली मिर्च का चूर्ण, दूसरे में काला नमक (अथवा सेंधा नमक) तीसरे में सोंठ का चूर्ण और चौथे में मिश्री का चूर्ण (या शक्कर) भर दे। रात को प्लेट में रखकर ढक दे। प्रातः भोजन करने से एक घंटे पहले इस निम्बू की फांक को मंदी आंच या तवे पर गर्म करके उस ले।
इस प्रयोग से होने वाले लाभआवश्यकता अनुसार सात दिन से इक्कीस दिन लेने से लीवर सही होगा। इससे यकृत विकार ठीक होने के साथ पेट दर्द और मुंह का जायका ठीक होगा। यकृत के कठोर और छोटा होने के रोग (Cirrhosis of the liver) में अचूक हैपुराना मलेरिया, ज्वर, कुनैन या पारा के दुर्व्यवहार, अधिक मद्यपान, अधिक मिठाई खाना, अमेबिक पेचिश के रोगाणु का यकृत में प्रवेश आदि कारणों से यकृत रोगों की उत्पत्ति होती हैंबुखार ठीक होने के बाद भी यकृत की बीमारी बनी रहती है और यकृत कठोर और पहले से बड़ा हो जाता हैं। रोग के घातक रूप ले लेने से यकृत का संकोचन (Cirrhosis of the liver) होता हैयकृत रोगो में आँखों व चेहरा रक्तहीन, जीभ सफेद, रक्ताल्पता, नीली नसे, कमजोरी, कब्ज, गैस और बिगडी स्वाद, दाहिने कध के पीछे दर्द, शौच आंवयुक्त कीचड़ जैसा होना, आदि लक्षण प्रतीत होते है
सावधानी- दो सप्ताह तक चीनी अथवा मीठा का इस्तेमाल न करेंअगर दूध मीठा पीते हो तो चीनी के बजाए दूध में चार-पांच मुनक्का डाल कर मीठा कर ले। रोटी भी कम खाएं। अच्छा तो यह है की जव उपचार चल रहा हो तो रोटी बिलकुल खाकर सब्जियां और फल से ही गुजारा कर लें। सब्जी में मसाला न डालें। टमाटर, पालक, गाजर, बआ. करेला, लोकी. आदि शाक-सब्जियां और पपीता, आंवला, जामुन, सेब, आलूबुखारा, लीची आदि फल तथा छाछ आदि का अधिक प्रयोग करें। घी और तली वस्तुओं का प्रयोग कम कम करें। पंद्रह दिन में इस प्रयोग के साथ जिगर ठीक हो जायेगा।
इसके साथ ये सहायक उपचार जरूर करें- जिगर के संकोचन (Liver Cirrhosis) में दिन में दो बार प्याज खाते रहने से भी लाभ होता है। जिगर रोगों में छाछ (हींग का बगार देकर, जीरा काली मिर्च और नमक मिलाकर) दोपहर के भोजन के बाद सेवन करना बहुत लाभप्रद है। आंवलों का रस 25 ग्राम या सूखे आंवलों का चूर्ण चार ग्राम पानी के साथ, दिन में तीन बार सेवन करने से पंद्रह से बीस दिन में यकृत के सारे दोष दूर हो जाते है। एक सौ ग्राम पानी में आधा निम्बू निचोड़कर नमक डालें (चीनी मत डालें र इसे दिन में तीन बार पीने से जिगर की खराबी ठीक होती हैं। जामुन के मौसम में 200-300 ग्राम बढ़िया और पके हुए जामुन प्रतिदिन खाली पेट खाने से जिगर की खराबी दूर हो जाती है।
जनपूर्वांचल मार्च 2016