वैवाहिक जीवन की सफलता के मंत्र


धनगर चेतना अगस्त 2016


विवाह के लिए यह कहा जाता है कि यह ऐसा गुड है जो खाय वो पछताय और जो न खाए वो भी पछताय। एक लड़का और लड़की यही सोचकर विवाह के बंधन में बंधते हैं कि एक दूसरे के प्रति उनकी भावनाएं कभी भी खराब नहीं होंगी। वे एक दूसरे को इसी तरह चाहते रहेंगे। इसके लिए कभी लडका तो कभी लड़की अपने परिवार से काफी संघर्ष करता है। कभी -कभी दोनों को संघर्ष करना पड़ता है लेकिन विवाह करने के कुछ वर्षों बाद ही उनकी भावनाएं टकराने लगती हैं। बात-बात पर खटपट होने लगती है। पत्नी पिक्चर जाने की जिद करती है तो पति आराम फरमाना चाहता है। पत्नी को होटल में खाने की इच्छा है लेकिन पति चाहता है कि पत्नी अपने हाथ से कोई अच्छी डिश बनाकर खिलाए। इस प्रकार के नखरे शुरू में कोई नहीं दिखाता है लेकिन बाद में ऐसे ही तकरार होने लगती है। यह तकरार कभी कभी तलाक अर्थात विवाह विच्छेद तक की नौबत ला देती है। वैवाहिक जीवन की सफलता के कुछ मंत्रों पर यदि ध्यान दिया जाए तो यह जीवन बहुत खुशहाल हो सकता है।


वास्तविकता यह है कि समय के साथ हम सभी बदलते हैं और हमारे संबंध भी। कोई भी चीज स्थिर नहीं है तो संबंध कैसे स्थिर रह सकते है इसलिए बदलाव अर्थात परिवर्तनों को ठीक से समझकर ही हम रिश्तों को बेहतर बनाए रख सकते है। अगर इसमें चूक होती है अथवा उसको हम नजरंदाज करते रहते है तो रिश्ते बिखरने लगते हैं, तब हम एक-दूसरे पर दोष लगाते हैं और खुद को सही साबित करने का प्रयास करते हैं। सबसे पहले तो हम विवाह के बारे में ही ठीक से समझ लें। हम उन लोगों की बात नहीं करते जो लिव इन रिलेशन शिप में यकीन करते हैं और इस प्रकार का कोई उदाहरण हमें नहीं मिलता जो लिव इन रिलेशनशिप की सिल्वर या गोल्डन जुबली मना चुका हो। पानी के बुलबुलों की तरह से रिश्ते होते है जो जितने दिन चल जाएं तो गनीमत है। इसलिए विवाह केवल दो लोगों के साथ जीवन गुजारने का सामाजिक हलफनामा भर नहीं है, यह दो लोगों के साथ उनके परिजनों के भी एक मधुर बंधन में बंट आने का संस्कार होता है। विवाह को इसीलिए संस्कार कहते भी हैं क्योंकि विवाह के अवसर पर जो रीति-रिवाज अपनाए जाते हैं वे लड़के व लड़की को भावी जीवन के कर्तव्य की याद दिलाते रहते हैं। हिन्दूधर्म में तो कहा जाता है कि विवाह सात जन्मों का बंधन होता है अर्थात पति और पत्नी को सामंजस्य स्थपित करते हुए अपने-अपने कर्तव्यों को करना पडता है। विवाह मधुर बंधन में बंधने का मौका होता है और ऐसे बंधन जो समय के साथ परिपक्व हो जाते है तब पति और पत्नी से भी परिपक्व होने की मांग करने लगते हैं। आज विवाह करने की उम्र बढ़ती जा रही है। हमारे देश में पहले तो बालविवाह की प्रथा थी। बहुत छोटी उम्र में ही शादी कर दी जाती थी। यह प्रथा कहीं कहीं अब भी कायम है। हालांकि कानून की दृष्टि से बाल विवाह अपराध की श्रेणी में आता है। बच्चों की सोच तो बहुत इसलिए विवाह परिपक्व अवस्था में ही करना चाहिए जब लड़का और लड़की दोनों समझदार हो जाएं।


अक्सर युवा इस सोच के साथ विवाह करते है कि उनके साथी के प्रति उनकी भावनाएं कभी भी नहीं बदलेंगी लेकिन संबंधों में समय के साथ बदलाव होता है और प्रेम की भावनाएं भी समय के साथ एक जैसी नहीं रह पातीं। समय के साथ जिस तरह व्यक्तित्व बदलता है तो हमारी इच्छाएं भी बदलती हैं। इस प्रकार हम एक दूसरे के प्रति प्रेम-प्रदर्शन में भी स्पष्ट रूप से बदलाव देखते हैं। यह तो स्वाभाविक है कि वैवाहिक जीवन में आपसी झगड़े होंगे। महत्व पूर्ण यह नहीं है कि इस झगड़े का उनपर क्या असर होगा बल्कि महत्व इसका है कि आपसी झगडे से वे क्या सीखते हैं। एक-दूसरे से अलगाव भी उन्हें कभी-कभी परिपक्व बना देता है। विवाह तरक्की या आगे बढ़ने की संभावना मात्र नहीं है बल्कि यह आगे बढ़ने, प्रगति करने की जरूरत सामने रख देता है।


ध्यान रहे कि यह मानवीय स्वभाव है कि जैसे-जैसे समय बदलता है, वैसे-वैसे ही जिस साथी पर हम बहुत ज्यादा ध्यान दे रहे थे, उससे हमारा मन हटने लगता है। नकारात्मक चीजें हमारा ध्यान ज्यादा खींचती है। इस प्रकार प्रेम की पवित्र और सकारात्मक ऊर्जा पर धीरे-धीरे नकारात्मकता हावी होने लगती है। प्रेम की तीव्रता जैसे ही कम होने लगती है तो हम एक-दूसरे का ख्याल रखना भी कम कर देते हैं। तब यह लगता है कि हम परस्पर उपेक्षा कर रहे हैं। दोनों के अंदर कुछ खालीपन महसूस होने लगता है। इस तरह के भ्रम के कारण ही हम अपनी अप्रसन्नता के लिए एक-दूसरे को दोष देते है। जीवन भर ही नहीं सात जन्मों तक साथ निभाने वालों को लगता है कि वे पैसे, रिश्ते या किसी भी अन्य कारण से एक-दूसरे से लड़ रहे हैं लेकिन असल में इस लड़ाई का कारण है समय के अनुसार बदलाव का आना। यह बात पति और पत्नी दोनों को समझना चाहिए और समय के अनुसार एक-दूसरे में आये बदलाव को स्वाभाविक मान कर स्वीकार कर लेना चाहिए। यही वैवाहिक जीवन की सफलता का सिद्ध मंत्र है।