‘विवाह गठबन्धन एवं पारिवारिक एकता दिवस’ के रूप में मनायें ‘‘वैलेन्टाइन डे’’


सेन्ट वैलेन्टाइन डे (14 फरवरी) पर विशेष 


 


 


(1)          समस्त विश्ववासियों से हमारी अपील है कि वे संत वैलेन्टाइन के शहीद दिवस ‘‘वैलेन्टाइन डे’’ को ‘‘विवाह गठबन्धन एवं पारिवारिक एकता दिवस’’ के रूप में मनाएं। कुछ स्वार्थी लोगों ने महान संत वैलेन्टाइन के शहीद दिवस ‘‘14 फरवरी’’ को एक सस्ते मनोरंजन व गन्दे मजाक का विकृत रूप दे दिया है। ये लोग समाज के प्रति अपनी नैतिक जिम्मेदारी न समझते हुए युवा एवं किशोर मे ग्रीटिंग कार्ड, चित्र, संदेश, होटलों में डान्स पार्टियों के प्रचलन को बढ़ावा दे रहे हैं। ‘परिवार बसाने’ एवं ‘पारिवारिक एकता’ का संदेश पूरी दुनिया को देने वाले ऐसे महान संत के शहीद दिवस 14 फरवरी को श्रद्धांजलि सभाओं के रूप में आयोजित करना चाहिए तथा ‘विवाह गठबन्धन एवं पारिवारिक एकता दिवस’ के रूप में मनाना चाहिए।


(2)          सन्त वैलन्टाइन के बलिदान को भूल कर इलेक्ट्रानिक एवं प्रिन्ट मीडिया, व्यापारियों व व्यवसायियों द्वारा मात्र अपने लाभ के लिए युवा पीढ़ी को पथभ्रष्ट किया जा रहा है। हम सन्त वैलन्टाइन के दृष्टिकोण का समर्थन करते हैं। स्त्री और पुरुष के विवाह के बाहर शारीरिक सम्बन्ध से समाज में नैतिक मूल्यों का पतन होता है। इन अनैतिक कार्यों से समाज नष्ट हो जायेगा। एड्स जैसी बीमारियां समाज को खत्म कर देंगी और मानव की आध्यात्मिक प्रगति भी पीछे हट जायेगी। सभी धर्म विवाह को एक पवित्र बन्धन मानते हैं जिससे समाज में सुव्यवस्था होती है और मनुष्य पाप से बचा रहता है। विभिन्न समाजों में प्रेम की विभिन्न परिभाषा दी गयी है। किन्तु असली प्रेम तो केवल ईश्वरीय प्रेम होता है। ईश्वरीय प्रेम में बिल्कुल स्वार्थ नहीं होता और यह किसी भौतिक प्रगति या लाभ के लिए नहीं होता बल्कि इसमें पवित्र भावनायें होती हैं। हमारा सच्चा प्रेमी केवल ईश्वर है। अनैतिक सेक्स की भावनायें मनुष्य को पशुता की तरफ ले जाती हैं। पवित्र प्रेम हर प्रकार के लालच से ऊपर होता है। भगवान के प्रेम से जुदा होना असली प्रेम को घटिया बनाता है और इसलिए भौतिक सुख की अभिव्यक्ति प्रेम के दायरे में नहीं आती है।


(3)          आधुनिक समाज में जिस तरह वैलन्टाइन डे मनाया जा रहा है उससे सन्त वैलन्टाइन की भावना को ठेस पहुंचेगी। यह उनके विचारों से बिल्कुल विपरीत है। वैलन्टाइन डे हमें याद दिलाता है कि पुरूष और स्त्री में कभी भी बिना विवाह शारीरिक सम्बन्ध नहीं होने चाहिए। वैलन्टाइन डे पूरी तरह पवित्र विवाह के बन्धन को मान्यता देता है। किन्तु यह बहुत दुख की बात है कि आजकल कुछ लोग अपने स्वार्थ के लिए वैलन्टाइन डे की भावना को भुलाकर सस्ते मनोरंजन व गन्दी हरकतों में उलझ गये हैं। कुछ स्वार्थी उद्योगपति, व्यापारी, होटलों के मालिक, इलेक्ट्रानिक व प्रिन्ट मीडिया एवं पत्र-पत्रिकाएं समाज के प्रति अपनी नैतिक जिम्मेदारी को भुलाकर उत्तेजनापूर्ण ग्रीटिंग कार्ड बनाकर बेचने, गन्दी तस्वीरें व संदेश इत्यादि का व्यापार कर रहे हैं जिससे युवा बालक और बालिकाओं से पैसा कमा सकें।


(4)          ईसा के जन्म के 269 वर्ष बाद रोमन शासक क्लाडियस (द्वितीय) बहुत महत्वाकांक्षी सम्राट था। वह किसी भी तरह अपने राज्य का विस्तार करना चाहता था। इस लक्ष्य की पूर्ति के लिए वह अपनी सैन्य शक्ति को निरन्तर बढ़ाकर पड़ोसी राज्यों पर हमले कर रहा था। वह रात-दिन सैनिकों को युद्ध में झोंककर जल्द से जल्द विश्व का सबसे शक्तिशाली सम्राट बनना चाहता था। इस लक्ष्य की पूर्ति के लिए वह संसार की सबसे ताकतवर सेना को बनाने के लिए जी-जान से जुटा था। सम्राट क्लाडियस (द्वितीय) ने महसूस किया कि विवाहित सैनिक समय-समय पर छुट्टी लेकर अपने परिवार के साथ रहने के लिए चले जाते हैं। राजा के मन में स्वार्थपूर्ण विचार आया कि विवाहित व्यक्ति अच्छे सैनिक नहीं बन सकते हैं। इस स्वार्थपूर्ण विचार के आधार पर राजा ने तुरन्त राजाज्ञा जारी करके अपने राज्य के सैनिकों के शादी करने पर पाबंदी लगा दी। राजा का सख्त आदेश था कि यदि कोई सैनिक राष्ट्र भक्ति के लिए कुर्बानी नहीं देगा और राजाज्ञा के विरूद्ध शादी करेगा तो उसे मृत्यु दण्ड दिया जायेगा और उसका सर धड़ से कलम कर दिया जायेगा। सम्राट क्लाडियस (द्वितीय) के विचार में शादी के बिना भी रोमन जैसे महान साम्राज्य के ताकतवर सैनिक जहाँ आक्रमण करने जाये वहाँ की धन-दौलत लूटने के साथ ही उनकी महिलाओं तथा लड़कियों के साथ जबरन अपनी शारीरिक इच्छाओं की पूर्ति कर सकते हैं। सम्राट का मानना था कि रोमन साम्राज्य के ताकतवर सैनिकों का विरोध करने की हिम्मत किसमें है? इसलिए वह विवाह को एक झंझट बताकर अपने सैनिकों को विवाह से हर हाल में दूर रखना चाहता था। 


(5)          रोम के एक चर्च के पादरी महान संत वैलेन्टाइन को रोम के सम्राट क्लाडियस (द्वितीय) की सैनिकों के ऊपर शादी न करने की पाबन्दी लगाने का आदेश ईश्वर की इच्छा के विपरीत लगा। सम्राट क्लाडियस (द्वितीय) की राजाज्ञा के पीछे प्रभु इच्छा नहीं वरन् सैनिकों की ताकत के बल पर हर कीमत पर अपने राज्य का विस्तार करना था। विवाह की महत्ता को समझते हुए संत वैलेन्टाइन ने साहसिक निर्णय लिया। वह रात्रि के समय में अपना चर्च खोलकर सैनिकों के गुपचुप विवाह कराने लगे। साथ ही संत वैलेन्टाइन लोगों को यह शिक्षा देते थे कि शादी करके ही स्त्री एवं पुरूष में शारीरिक सम्बन्ध स्थापित होना चाहिए। वह यह शिक्षा देते थे कि पवित्र जीवन, पारिवारिक प्रेम एवं एकता से ही मानव जीवन सुखी हो सकता है। संत वैलेन्टाइन ने विवाह को अनिवार्य बताते हुए कहा कि शादी से ही पारिवारिक एकता और उन्नति का मार्ग प्रशस्त हो सकता है। इसलिए गृहस्थ धर्म में प्रवेश अतिआवश्यक है।


(6)          एक दिन सम्राट क्लाडियस (द्वितीय) को अपने गुप्तचर सैनिकों से पता चला कि पादरी वैलेन्टाइन रात्रि के समय में चर्च खोलकर सैनिकों के गुपचुप विवाह करा रहे हैं। राजा के आदेश पर सैनिकों ने तुरन्त वैलेन्टाइन को गिरफ्तार कर लिया। अगले दिन राजा के दरबार में वैलेन्टाइन को पेश किया गया। राजा ने सख्ती से वैलेन्टाइन से कहा कि तुमने राजाज्ञा को तोड़ा है। और तुम्हें मालूम है कि राजाज्ञा को तोड़ने की सजा मृत्युदंड है। संत होने के नाते यदि तुम आगे से ऐसी गलती नहीं करने की शपथ लो तो मैं तुम्हें मृत्युदंड की सजा से मुक्त कर सकता हूँ। सन्त वैलेन्टाइन ने सम्राट से कहा कि हे सम्राट! तुम्हारी सैनिकों को विवाह न करने की राजाज्ञा के पीछे छिपी भावना केवल अपने स्वार्थ की है और अपने राज्य के विस्तार की है। यह तुम्हारी निजी स्वार्थपूर्ण महत्वाकांक्षा है। इस राजाज्ञा के पीछे प्रभु निर्मित समाज के हित की तुम्हें कोई चिन्ता नहीं है। पहले तो मैं छिपकर लोगों के विवाह कराता था किन्तु अब मैं खुले आम सैनिकों के विवाह कराऊँगा। तुम मेरे शरीर को तो मार सकते हो लेकिन मेरी आत्मा को नहीं मार सकते हो। यदि इस शरीर से मैं प्रभु की सेवा न कर सकूँ तो ऐसे जीवन का क्या लाभ? सम्राट सन्त वैलेन्टाइन की इस बात से अत्यधिक क्रोधित हो उठा और उसने तुरन्त मृत्युदंड का आदेश दे दिया, और सन्त वैलेन्टाइन को 14 फरवरी को मृत्युदंड दे दिया गया। संत वैलेन्टाइन का चिन्तन आध्यात्मिक सभ्यता को बढ़ाने में सहायता करना था वहीं उसके विपरीत सम्राट क्लाडियस (द्वितीय) का आदेश शैतानी सभ्यता को बढ़ाने में सहायक था। इसी प्रकार संत वैलेन्टाइन के मृत्यु दिवस को श्रद्धाजंलि प्रार्थना सभायें आयोजित करना आध्यात्मिक सभ्यता के निर्माण के लक्ष्य को प्राप्त करने में सहायता करना है तथा स्वार्थ से प्रेरित होकर वैलेन्टाइन डे का किशोर एवं युवा पीढ़ी के समक्ष विकृत स्वरूप प्रस्तुत करना शैतानी सभ्यता को बढ़ावा देना है।


(7)          संत वैलेन्टाइन की मृत्यु के बाद लोगों ने उनके त्याग एवं बलिदान को महसूस किया। और सैनिकों ने अनेक वर्षों तक सम्राट क्लाडियस (द्वितीय) के भय के कारण चर्च के बजाय अपने-अपने घरों में ही चुपके-चुपके परमात्मा की प्रार्थना कर शादी करके घर बसाये और लुक-छिपकर ही लोग अपने-अपने घरों में प्रतिवर्ष 14 फरवरी को संत वैलेन्टाइन के शहीद दिवस पर उनकी दिवंगत आत्मा की शान्ति के लिए प्रार्थनायें करते थे। वैलेन्टाइन डे अर्थात ‘पारिवारिक एकता दिवस’ पर युवा एवं किशोर छात्र यह प्रतिज्ञा लें कि हम अपने मस्तिष्क से भेदभाव हटाकर सभी से प्रेम करेंगे व समानता की भावना पैदा करेंगे। भारत की संस्कृति व सभ्यता ही आज की जरूरत है। प्रेम तो ईश्वर से होना चाहिए क्योंकि यही जीवन का शाश्वत सत्य है। अगर ईश्वर से हमारा तार कट गया तो कोई अन्य प्रेम हमें नहीं बचा पाएगा। हमें वैलेन्टाइन डे पर प्रभु प्रेम के लिए भाई-बहन का प्रेम, दादा-दादी का प्रेम, माता-पिता का प्रेम, गुरूजनों का प्रेम भी शामिल करना चाहिए तभी हम इस त्योहार का सही मूल्यांकन कर सकेंगे।


(8)          स्कूलों और कालेजों की यह जिम्मेदारी बनती है कि वे आगे आकर किशोर एवं युवा छात्रों के मार्गदर्शक बने और एक स्वच्छ, स्वस्थ तथा चारित्रिक गुणों से ओतप्रोत समाज का निर्माण करें। संत वैलेन्टाइन ने विवाह की वकालत करते हुए गृहस्थ धर्म को अनिवार्य बताया था। अतः विद्यालय एवं कालेजों के छात्र-छात्राओं को जब तक उनकी शिक्षा पूरी न हो जाये तब तक विवाह की बात भी नहीं सोचनी चाहिए। सी0एम0एस0 पिछले 55 वर्षों से ईश्वरीय प्रेम से ओतप्रोत भारतीय संस्कृति के महान आदर्श ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ अर्थात सारा विश्व एक परिवार है पर आधारित शिक्षा छात्रों को दे रहा हैं। सिटी मोन्टेसरी स्कूल प्रति वर्ष की भांति इस वर्ष भी ‘वैलेन्टाइन डे’ को ‘विवाह गठबन्धन एवं पारिवारिक एकता दिवस’ के रूप में मना रहा है।


(9)          हमारा कर्तव्य है कि हम विश्व के बच्चों की सुरक्षा व शांति के लिए आवाज उठायें और वैलेन्टाइन डे के सही मायने पूरे विश्व के बच्चों को समझायें जिससे कि प्रत्येक बालक के हृदय में ईश्वर के प्रति, अपने माता-पिता के प्रति, भाई-बहनों के प्रति और सगे सम्बन्धियों के प्रति भी पवित्र ईश्वरीय प्रेम की भावना बनी रहे। संत वैलेन्टाइन के महान बलिदान के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि यही होगी कि हम 14 फरवरी ‘वैलेन्टाइन डे’ को ‘पारिवारिक एकता दिवस’ के रूप में पवित्र भावना से मनायें और महान शहीद संत वैलेन्टाइन की शिक्षाओं के अनुरूप अपने परिवार बनायें। 


 


------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------


(ए)    सेन्ट वैलेन्टाइन डे (14 फरवरी) वास्तव में शोक का दिन है, न कि हँसी खुशी का।


(बी)   एक महान सन्त जिन्होंने विवाह एवं पारिवारिक एकता को बनाए रखने के लिए अपना जीवन बलिदान कर दिया  हो, उनके श्रद्धान्जलि के दिन को हर्षोल्लास के साथ मनाना अमानवीय है।


(सी)   वैलेन्टाइन के शहीद दिवस को वैवाहिक जीवन की सुदृढ़ता एवं पारिवारिक एकता दिवस के रूप में मनाइये।


(डी)   शिक्षा का उद्देश्य बच्चों को भौतिक, मानवीय एवं आध्यात्मिक शिक्षा प्रदान करना है। आज के विद्यालयों में केवल भौतिक शिक्षा दी जा रही है, जिससे मानवीय एवं आध्यात्मिक शिक्षा का पूर्णतया विनाश हो गया है।


(इ)    आज का विद्यालय न तो विद्या-मन्दिर रह गया है और न ही समाज के प्रकाश का स्तम्भ। यह एक व्यापार का   केन्द्र बन गया है, जिसमें केवल भौतिक शिक्षा ही दी जाती है जिससे बच्चे परीक्षा उत्तीर्ण कर मात्र जीवनचर्या कर सकें। आज के विद्यालय बच्चों को जीवन का पाठ पढ़ाने के केन्द्र नहीं रह गये हैं।


डा. जगदीश गांधी, शिक्षाविद् एवं संस्थापक-प्रबन्धक,


सिटी मोन्टेसरी स्कूल, लखनऊ