नई दिल्ली : कई वर्षों के लंबे अंतराल के बाद भारत से चीन को निर्यात में बढ़ोतरी दर्ज की गई है। भारत चालू वित्त वर्ष के दौरान चीन को अब तक का सर्वाधिक निर्यात करने की दिशा में अग्रसर है। अप्रैल-दिसम्बर, 2018 के दौरान 12.7 अरब अमेरिकी डॉलर का निर्यात किया गया, जो पिछले वर्ष किये गये 13.33 अरब अमेरिकी डॉलर के निर्यात स्तर के काफी करीब है।
वाणिज्य विभाग ने उन विशिष्ट क्षेत्रों की पहचान करने और भारतीय निर्यातकों एवं अन्य हितधारकों के साथ इसे साझा करने की पहल की, जहां अमेरिका आगे चलकर चीन में अपनी प्रतिस्पर्धी क्षमता गंवा देगा और जहां भारत की व्यापक निर्यात संभावनाएं हैं। वाणिज्य विभाग ने निर्यातकों को इस अवसर से लाभ उठाने के लिए प्रोत्साहित किया। बीजिंग स्थित भारतीय दूतावास के जरिये चीन के खरीदारों के साथ अनेक व्यावसायिक (बी2बी) बैठकें आयोजित की गईं। चीन के अंगूर खरीदारों को कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) के अधीनस्थ भारत के अंगूर उद्यानों (ग्रेप फार्म) एवं अन्य संबंधित इकाइयों (यूनिट) को देखने के लिए आमंत्रित किया गया।
भारत से चीन को निर्यात बढ़ाने में समुद्री उत्पादों, जैव रसायनों, प्लास्टिक, पेट्रोलियम उत्पादों, अंगूर और चावल का मुख्य योगदान रहा है।
चीन के नियामकीय परिवेश, जो भारतीय निर्यातकों के लिए अब भी एक चुनौती है, को ध्यान में रखते हुए वाणिज्य विभाग ने पिछले वित्त वर्ष के दौरान इन तीन संधि पत्रों (प्रोटोकॉल) पर हस्ताक्षर किये थे :-
- जून, 2018 में चीन को भारतीय चावल के निर्यात से संबंधित प्रोटोकॉल (गैर-बासमती चावल को शामिल करना) पर क्विंगडाओ में दोनों देशों के नेताओं की मौजूदगी में हस्ताक्षर किये गये थे, जिससे चीन को भारतीय चावल के निर्यात का मार्ग प्रशस्त हो गया। इसकी शुरुआत कम मात्रा में चावल निर्यात से हुई और अब दोनों ही देशों के कारोबारियों द्वारा इसे व्यापक बढ़ावा देने की जरूरत है।
- 28 नवम्बर, 2018 को चीन के उप मंत्री की भारत यात्रा के दौरान भारत से चीन को फिशमील (मछली का भोजन)/मछली के तेल के निर्यात से जुड़े प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर किये गये।
- 21 और 22 जनवरी, 2019 को भारत से चीन को तंबाकू निर्यात से जुड़े प्रोटोकॉल का नवीकरण किया गया एवं इस पर हस्ताक्षर किये गये। इससे चीन को भारतीय तंबाकू के निर्यात का मार्ग प्रशस्त हो गया।
वैसे तो भारत की कुछ चिंताओं को दूर कर दिया गया है, लेकिन चीन के बाजार में भारत की पैठ मजबूत करने के लिए अभी और अधिक प्रयास करने की आवश्यकता है। भारत से निकट भविष्य में चीन को सोयाबीन उत्पादों, केक और अनार के निर्यात के लिए प्रोटोकॉल पर जल्द ही हस्ताक्षर किये जाने की उम्मीद की जा रही है, क्योंकि इस दिशा में आपसी विचार-विमर्श प्रगति पर है।
यद्यपि कई वस्तुओं के लिए प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर किये जा चुके हैं, लेकिन वास्तविक निर्यात में अब भी काफी बढ़ोतरी करने की जरूरत है। भारतीय निर्यातकों को इस अवसर के साथ-साथ हाल के घटनाक्रमों से भी लाभ उठाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।
चीन के कई उत्पादों पर अमेरिका द्वारा लगाये गये शुल्कों या ड्यूटी को ध्यान में रखते हुए भारत से अमेरिका को निर्यात करने के लिए भी इसी तरह के अनेक कदम उठाये गये हैं।