चीन का भरोसा ?


मई, 1998 में तत्कालीन रक्षा मंत्री जार्ज फर्नाडीज ने स्पष्ट शब्दों में कहा था कि भारत का सबसे बड़ा दुश्मन यदि कोई है तो वह चीन है। लेकिन इस बात को सरकारों ने समझा नहीं। भारत के पास अब भी एक बड़ा दाँव बचा हुआ है लेकिन अपने यहाँ अभी तक कोई फैसला नहीं हुआ है। दूसरी तरफ अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने यह निर्णय ले लिया है, कि चीन को व्यापारिक तौर पर नुकसान पहुंचाना है। भारत का सर्वाधिक व्यापार घाटा पड़ोसी देश चीन के साथ लगातार दर्ज किया जाता रहा है यह कुछ साल पहले ही 63 अरब डालर तक पुहंच गया है। इसका मतलब यह है कि चीन के साथ व्यापार चीन की अर्थव्यवस्था के लिए अधिक फायदेमंद है। चीन के लिए भारत 7वां सबसे बड़ा एक्सपोर्ट डेस्टिनेशन बन चुका है, ओर अमेरिका के साथ जो उसका ट्रेड वार जारी है ऐसी स्थिति में भारत से व्यापार उसके लिए और भी ज्यादा अहम हो जाता है।


कमाल की बात यह है कि इन पाँच सालो में भारत और चीन के बीच डोकलाम विवाद, चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर और लद्दाख पर चीनी अतिक्रमण जैसे मतभेदों का असर ट्रेड पर नहीं पड़ा। भाजपा के राज में पिछले पांच वर्षों में भारत चीन से जो आयात करता है उसमें 50 फीसद का इजाफा हुआ है जबकि निर्यात कम हुआ 2017-18 में यह घाटा (चीन से भारत में होने वाला आयात और यहां से उसे होने वाले निर्यात का अंतर)63 अरब डॉलर का हो गया जो वर्ष 2013-14 में 36.2 अरब डॉलर का था। हकीकत यह है कि इन पांच वर्षों में भारत से चीन को होने वाला निर्यात 14.8 अरब डॉलर से घट कर 13.3 अरब डॉलर का रह गया है 2017-18 में भारत और चीन के बीच कारोबार में रिकॉर्ड तेजी आई ओर इसमें करीब 19 प्रतिशत की ग्रोथ दर्ज की गई। जबकि इस दौरान दोनों देशों के बीच व्यापार संतुलन स्थापित करने के लिए कई बार बैठकें हो चुकी है। हमने अपना निर्यात बढ़ाने की कोशिश की लेकिन अपेक्षित सफलता नही मिल पाई अभी जब हमारे विदेश मंत्री जयशंकर प्रसाद जब चीन दौरे पर गए थे तब भी यही बात करने गए थे।


भारत के पास पिछले एक साल से अपना एक्सपोर्ट अमेरिका को करने का सुनहरा मौका मिला है अमेरिका चीन में व्यापारिक तनाव चरम पर है इस बीच स्पोर्ट्स गुड्स, टॉयज, स्टेशनरी, केबल्स और इलेक्ट्रॉनिक्स पार्ट्स के अमेरिकी आयातक भारतीय कंपनियों से संपर्क कर रहे हैं। ये कंपनियां पहले चीन से माल खरीद रही थीं, लेकिन व्यापार युद्ध की वजह से अब चीन से इन आइटम्स का आयात महंगा हो गया है, इसलिए अमेरिका के आयातक भारतीय कंपनियों का रुख कर रहे हैं। लेकिन हम सही ढंग से आर्थिक नीतियों को लागू कर पाते तो हमारे उद्योग इस गोल्डन चांस का फायदा उठा सकते थे हमारे पास इस मौके को भुनाने के लिए लगभग छह महीने हैं। लेकिन हम दक्षिण एशिया के वियतनाम जैसे देश से अभी पिछड़ रहे हैं हमारी तुलना में बांग्लादेश ने अधिक तरक्की की है निर्यात के मोर्चे पर भारत का कमजोर प्रदर्शन दक्षिण एशिया के अन्य देशों से एकदम विरोधाभासी है। वे निर्यात के बल पर ही तरक्की कर रहे हैं। वियतनाम को रिकॉर्ड वृद्धि हासिल हो रही है। चीन जैसे देश को यदि सबक सिखाना हैं तो हमे आयात को कम करना होगा और उन उत्पादों को निर्यात करने की क्षमता विकसित करनी होगी जिसमें चीन सर्वेसर्वा बना हुआ है ।