भारत के 73वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लालकिले की प्राचीर से राष्ट्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी। ब्रिटिश राज के दौरान लगी पाबंदी को मिलाकर तीन बार प्रतिबंधित किया जा चुका राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ही अब सरकार है, और इसका श्रेय जाता है उसके कार्यकर्ता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को। कल, 15 अगस्त को आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने दुर्लभ तरीके से बेहद उदार शब्दों में अनुच्छेद 370 को हटाकर कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म किए जाने के लिए प्रधानमंत्री की सार्वजनिक रूप से सराहना की। भाजपा आरएसएस के चुनावी नारे का इस्तेमाल करते हुए आरएसएस के सरसंघचालक ने कहा, धारा 370 इसलिए हटी क्योंकि मोदी है, तो मुमकिन है। आरएसएस और उससे जुड़े संगठनों के संघ परिवार की तीन बुनियादी इच्छाओं में से एक था कश्मीर को अनुच्छेद 370 के अंतर्गत दिए जा रहे विशेषाधिकारों का खात्मा।
इसके अलावा, संघ परिवार की शेष दो इच्छाएं हैं - विभिन्न धर्मों के लोगों को शादी-ब्याह तथा जमीन के मालिकाना हक जैसे मुद्दों पर अपने-अपने कानूनों का पालन करने से रोकने के लिए कॉमन सिविल कोड (समान नागरिक संहिता) को लागू करना तथा अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण करना। यहां तक कि मोदी द्वारा स्वतंत्रता दिवस पर दिए गए भाषण में जनसंख्या नियंत्रण का ज़िक्र भी सोच-समझकर लिखी गई स्क्रिप्ट का हिस्सा है। मोदी सरकार ऐसी योजना पर पहले से काम कर रही है, जिसके तहत छोटे परिवारों को लाभ पहुंचाया जाए। तो अब क्या उम्मीद करनी चाहिए। अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने वाले कदम उठाए जाएंगे, जिन कदमों को टैक्स टेररिज्म की संज्ञा दी गई, उन पर कदम पीछे नहीं हटाया जाएगा, उद्योगपतियों को समझाया जाएगा कि टैक्स देकर आप अर्थव्यवस्था में योगदान दें। और कॉमन सिविल कोड और राम मंदिर पर बड़े कदम उठाए जाएंगे।
अब राम मंदिर मामले में सुप्रीम कोर्ट रोज़ाना सुनवाई कर रहा है, सो, सरकार को उम्मीद है कि उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले अहम चुनाव से पहले सकारात्मक फैसला आ जाएगासंसद के दोनों सदनों में यूनिफॉर्म सिविल कोड को पारित कराना सरल है, संभवतः उसी तरीके से, जैसे अनुच्छेद 370 पर किया गया। संघ के एक वरिष्ठ विचारक का कहना है कि कश्मीर (पर फैसले) के साथ मोदी ने अपना नाम हमेशा के लिए इतिहास में दर्ज कर लिया है। उन्होंने कहा, अच्छा या बुरा, इतिहास फैसला करेगा, लेकिन संघ के लिए वह अटल और आडवाणी सहित किसी भी अन्य भाजपा नेता से कहीं आगे निकल गए हैं। सो, इस वक्त, जो वह कर रहे हैं, वही करने दो।
अर्थव्यवस्था अब गहरे संकट की ओर बढ़ती नज़र आ रही है, सो, भाजपा की सोच यह है कि सांस्कृतिक और वैचारिक एजेंडा पर काम करते रहने से उसका बुनियादी मतदाता संतुष्ट रहेगा, और यह भी सुनिश्चित हो सकेगा कि अख़बारों की सुर्खियां सिर्फ बेरोज़गारी और मंदी के बारे में नहीं रहें। बेहद शक्तिशाली लोगों का एक छोटा-सा समूह आने वाले कदमों को लेकर सावधानी से काम कर रहा है। भाजपा के एक वरिष्ठ नेता, जो आने वाली योजनाओं से परिचित हैं, का कहना है, अनुच्छेद 370 हमारे घोषणापत्र का हिस्सा था, लेकिन किसी को यकीन नहीं था कि हम वादा पूरा करेंगे, लेकिन हमने कर दिया। मोदी और शाह संघ का हिस्सा नहीं हैं, वे ही संघ हैं, और मन की आवाज़ पर काम करने वाले नेता हैं। वे जानते हैं कि अनुच्छेद 370 को हटाया जाना हमें राजनैतिक रू रत अब इस सच्चाई को स्वीकार करने से सकुचाता नहीं है कि हम हिन्दू प्रधान देश हैं। मूड बदल चुका है। मोदी विचारधारा के अंतर्गत सरकार चला रहे हैं और वक्त आ गया है कि आरएसएस देशभर के सामने आए और सुनिश्चित करे कि हमारे ही मूल्य देशभर में परिलक्षित हों ।
अशोक पाल
पाल-बघेल टाइम्स