मुफ्त बुनियादी सेवाएं और सवाल


अगर जनता को बिजली, पानी, चिकित्सा और शिक्षा जैसी बुनियादी सेवाएं मुफ्त में मिलने लगें तो उसके लिए राहत और खुशी की इससे बड़ी क्या बात हो सकती है! एक कल्याणकारी राज्य और उसमें सरकार की यह जिम्मेदारी भी बनती है कि वह अपने नागरिकों को बुनियादी जरूरत वाली चीजों और सेवाओं को निशुल्क या मामूली दाम पर उपलब्ध कराए। वरना कल्याणकारी सरकार होने का मतलब ही क्या रह जाता है। ऐसे में अगर कोई सरकार इस दिशा में पहल करती है तो क्यों नहीं उसका स्वागत होना चाहिए, भले यह चुनावी पैंतरा ही क्यों न हो! ऐसा ही करिश्मा दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार ने किया है। दिल्ली सरकार ने एक बड़ा फैसला करते हुए दो सौ यूनिट तक खपत पर बिजली बिल माफ कर दिया है। यानी दो सौ यूनिट बिजली दिल्ली सरकार मुफ्त देगी। यह फैसला तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया गया है। इससे पहले दिल्ली सरकार ने पिछले साल बीस हजार लीटर पानी मुफ्त देने की पहल की थी, जिस पर बाद में दिल्ली हाईकोर्ट ने सवाल उठाए थे।


दिल्ली सरकार ने दो सौ यूनिट बिजली तो मुफ्त देने का एलान किया है। इसके अलावा, दो सौ से चार सौ यूनिट तक खर्च करने वालों को बिल में पचास फीसद की सबसिडी मिलेगी। यानी आधा खर्च सरकारी पैसे से भरा जाएगा। इससे दिल्ली सरकार पर छह सौ करोड़ रुपए सालाना का बोझ पड़ेगा। सरकार का दावा है कि दो सौ यूनिट तक मुफ्त बिजली के फैसले से तैंतीस लाख लोगों को फायदा होगा। एक मोटे अनुमान के मुताबिक पैंतीस फीसद उपभोक्ता ऐसे हैं जो दो सौ यूनिट से भी कम बिजली खर्च करते हैं। इनमें समाज के कमजोर और गरीब तबके के परिवार ही हैं। ऐसे में दिल्ली की आबादी के एक बड़े हिस्से के लिए केजरीवाल सरकार का यह कदम राहत भरा है। मुफ्त बिजली-पानी के लिए मुख्यमंत्री हमेशा से यह तर्क भी देते आए हैं कि जब देश के नेताओं, मंत्रियों, सांसदों, विधायकों के लिए बिजली मुफ्त हो सकती है तो गरीब जनता के लिए क्यों नहीं ! इसमें कोई दो राय नहीं कि दो सौ यूनिट मुफ्त बिजली दिल्ली सरकार का विशुद्ध रूप से चुनावी कदम है।


सरकार अगर गरीबों को वाकई राहत देना चाहती थी तो पिछले चार साल में उसने यह फैसला क्यों नहीं किया? अब चुनाव करीब आते ही सरकार को गरीबों का खयाल आया है। दिल्ली की चुनावी राजनीति में बिजली बड़ा मुद्दा रहा है। आम आदमी पार्टी ने 2013 से ही बिजली के बढ़े दामों को मुद्दा बनाया था और इसे लेकर अरविंद केजरीवाल ने पंद्रह दिन का अनशन भी किया था। इस मुद्दे ने आम आदमी पार्टी को भारी बहुमत दिलाने में बड़ी भूमिका निभाई। उनकी पार्टी ने राजधानी की जनता से वादा भी किया था कि सत्ता में आते ही सस्ती बिजली दी जाएगी। दिल्ली से सटे राज्यों हरियाणा और उत्तर प्रदेश में बिजली काफी महंगी है। दो सौ यूनिट तक के लिए गुड़गांव में नौ सौ रुपए से ज्यादा और नोएडा में तेरह सौ रुपए चुकाने पड़ने हैं। हालांकि चुनाव से ठीक पहले जनता को अपने पक्ष में करने के मकसद से सरकारें ऐसे कदम उठाती रही हैं, दिल्ली सरकार ने इससे पहले मेट्रो में महिलाओं के लिए मुफ्त यात्रा का कार्ड चला था, लेकिन इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए कि मुफ्त की सेवाएं और सुविधाएं सिर्फ जरूरतमंदों को मिलें। ऐसे खुर्यों का बोझ अंतिम तौर पर सरकारी खजाने पर पड़ता है और उसका खमियाजा अलग शक्ल में आम जनता को ही उठाना पड़ता है।