पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली नहीं रहे


नई दिल्ली : पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली का शनिवार को दिल्ली एम्स में निधन हो गया। वे 66 वर्ष के थे। उन्होंने दोपहर 12 बजकर 7 मिनट पर अंतिम सांस ली। किडनी ट्रांसप्लांट करवा चुके जेटली को कैंसर हो गया था। उन्हें लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर रखा गया था। पिछले दिनों राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह समेत कई नेताओं ने अस्पताल पहुंचकर उनका हालचाल जाना था। मोदी फिलहाल यूएई में हैं। उन्होंने जेटली की पत्नी और बेटे से फोन पर बात की। दोनों ने मोदी से अपना विदेश दौरा रद्द न करने की अपील की। मोदी यूएई दौरे के बाद जी-7 समिट में हिस्सा लेने दोबारा फांस जाएंगे। उन्हें बहरीन भी जाना है। इस बीच भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड़ा ने कहा कि रविवार सुबह 10 बजे तक जेटली का पार्थिव शरीर उनके घर पर रहेगा। इसके बाद पार्थिव देह को पार्टी कार्यालय में रखा जाएगा। दोपहर बाद निगमबोध घाट पर उनका अंतिम संस्कार होगा। - जेटली के पिता महाराजा किशन जेटली और मां रतन प्रभा थीं। जेटली के पिता भी वकील थे। जेटली ने स्कूली शिक्षा नई दिल्ली के सेंट जेवियर्स स्कूल से पूरी की। 1973 में श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स से ग्रेजुएशन किया। अरुण जेटली 1973 में भ्रष्टाचार के विरुद्ध लोकनायक जयप्रकाश नारायण के संपूर्णक्रांति आंदोलन के लिए गठित राष्ट्रीय समिति के संयोजक थे। 24 मई 1982 को उनका विवाह संगीता से हुआ। उनका एक बेटा रोहन और बेटी सोनाली है। जेटली अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में सूचना और प्रसारण, कानून, न्याय और कंपनी मामलों के मंत्री रहे। 2014 के लोकसभा चुनाव में उन्हें अमृतसर लोकसभा सीट से कांग्रेस नेता कैप्टन अमरिंदर सिंह से हार का सामना करना पड़ा। इसके बावजूद मोदी सरकार में उन्हें वित्त और रक्षा मंत्री बनाया गया। उन्होंने सूचना और प्रसारण मंत्रालय भी संभाला। 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने स्वास्थ्य कारणों से चुनाव नहीं लड़ने का फैसला लिया।


         पीएम मोदी ने अरुण जेटली को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा, अरुण जी महान राजनेता थे। बुद्धिजीवी होने के साथ उन्हें कानूनी महारत प्राप्त थी। मैंने जेटली जी की पत्नी संगीता और बेटे रोहन से बातचीत कर संवेदनाएं प्रकट की हैं। अरुण जी में गंभीरता और विनोदप्रियता का अनूठा संगम था। समाज के हर वर्ग में लोग उन्हें चाहते थे। संविधान, इतिहास, सार्वजनिक नीति और प्रशासन की उन्हें गहरी समझ थी। केंद्रीय मंत्री के रूप में उन्होंने कई जिम्मेदारियों का निर्वहन किया। देश की आर्थिक उन्नति में योगदान दिया, सुरक्षा को मजबूत किया और ऐसे कानून बनाने में महती भूमिका निभाई जो जनता के लिए सहूलियत वाले हों। भाजपा से उनका अटूट रिश्ता रहा। आपातकाल में वो छात्र नेता के तौर पर सक्रिय रहे। उनके निधन से मैंने एक अमूल्य मित्र खो दिया है। ये मेरा सौभाग्य रहा कि मैंने उनके साथ कई दशकों तक काम किया। वे सदा हमारे दिलों में रहेंगे।