सुर्खियों में रही कल्याण-कलराज की जोड़ी

 


जयपुर :  कल्याण सिंह का कार्यकाल पूरा होने के बाद प्रदेश के नए राज्यपाल के तौर पर कलराज मिश्र कमान संभालेंगे। यह भी एक संयोग है कि जब राजस्थान के राज्यपाल पद से कल्याण सिंह का कार्यकाल पूरा हो रहा है तो उनके उत्तराधिकारी के तौर पर कलराज मिश्र ही कामकाज संभालेंगे। उत्तर प्रदेश में 1990 के दशक में कल्याण सिंह और कलराज मिश्र की जोड़ी सुर्खियों में रहती थी। पहली बार जून 1991 में जब कल्याण सिंह मुख्यमंत्री बने थे, उस समय कलराज मिश्र प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष थे। दूसरी बार कल्याण सिंह 1997 में जब मुख्यमंत्री बने तो कलराज मिश्र उनके मंत्रिमंडल में लोक निर्माण, पर्यटन, चिकित्सा शिक्षा मंत्री बने। उत्तर प्रदेश में राममंदिर आंदोलन से लेकर समाजवादी पार्टी के खिलाफ मोर्चा लेने में ये दोनों आगे रहते थे। उत्तर प्रदेश में भाजपा संगठन को खड़ा करने में कलराज मिश्र की महत्वपूर्ण भूमिका रही। वह 1991, 1993, 1995 और 2000 में भाजपा के चार बार प्रदेश अध्यक्ष रहे। एक जुलाई 1941 को गाजीपुर के मलिकपुर गांव में मिश्र का जन्म हुआ। 1975 में आपातकाल में कलराज मिश्र भी 18 माह जेल में रहे। 


1977 के चुनाव में पूर्व उप्र के जनता पार्टी के चुनाव संयोजक बने। 1978 में उन्हें पहली बार राज्य सभा का सदस्य बनाया। उसके बाद वह 2001 और 2006 में भी राज्यसभा सदस्य रहे। एक जनवरी 1979 को राष्ट्रीय युवा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए गए। 11 अगस्त 1979 को राष्ट्रीय युवा समन्वयक समिति के संयोजक बने। 1980 में भाजपा के गठन के बाद भाजयुमो के पहले राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए गए। 1986 में उप्र विधान परिषद सदस्य बनाए गए। 1991 तक भाजपा के उप्र के महामंत्री संगठन रहे। 1991 में ही उन्हें उत्तर प्रदेश भाजपा का अध्यक्ष बनाया गया था। 21 मार्च 1997 से 17 अगस्त 2000 तक उत्तर प्रदेश सरकार के लोक निर्माणए पर्यटनए चिकित्सा शिक्षा मंत्री रहे2004 में राजस्थान और दिल्ली के भाजपा के प्रभारी थे। 2010 में भाजपा में उन्हें राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया गया। 2012 में उत्तर प्रदेश विधायक चुने गए। 2014 में उत्तर प्रदेश की देवरिया लोकसभा सीट से सांसद बने और नरेंद्र मोदी मंत्रिमंडल में सूक्ष्मए लघु और उद्यम मंत्री एमएसएमईद्ध बनाया गया। 75 साल की आयु पूरी होने के बाद मंत्री पद से 2017 में मिश्र ने इस्तीफ दे दिया था। 2019 के लोकसभा चुनाव में हरियाणा के प्रभारी बनाये गये। 16 जुलाई 2019 से वह हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल के तौर पर सेवाएं दे रहे थे।