देवराहा बाबा के दर्शन से होता था दुखों का हरण : नामचीन हस्तियों का लगा रहता था ताता।


प्रतिनिधि मईल देवरिया : ब्रह्मलीन परम हर्ष योगिराज देवराहा बाबा नाम सुनते ही श्रद्धा से झुक जाता है बाबा की ख्यात देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी प्रचुर मात्रा में है। योग के बल पर उन्होंने अनेक सिद्धियां प्राप्त किया था जिसके कारण उनकी हथेली में अलौकिक शक्ति थी और उसी का प्रतिफल है कि उनके कास्ट मंच के बबूल वन में रिद्धि सिद्धि का बास हो गया था, बाबा का दर्शन करने और आशीर्वाद पाने वाले नाम की हस्तियों का तांता लगा रहता था श्रद्धा व विश्वास के साथ जो वहां गया मायूस होकर कभी नहीं लौटा आशीर्वाद के लिए बराबर होते के उठाए रखते थे।


आपातकाल के बाद जब स्वर्गीय श्रीमती इंदिरा गांधी पूर्व प्रधानमंत्री की सरकार चार उचित खाने हुई थी तो बाबा का आशीर्वाद लेने आई और उनकी सरकार बनी और उसी समय से कांग्रेस पार्टी नए हाथ से मिले आशीर्वाद को अपनी पार्टी का चुनाव चिन्ह हाथ का पंजा बना दिया।


बाप के उम्र के बारे में कोई स्पष्ट जानकारी नहीं मिलती है लेकिन जो चर्चाएं आती हैं उसमें उनका नाम जनार्दन दुबे ग्राम मोरिया तहसील हरैया जनपद बस्ती है।


19 जून 1990 तीन मंगलवार आषाढ़ कृष्ण की योगिनी एकादशी को श्री कृष्ण धाम वृंदावन में जमुना नदी के तट पर स्थित मंच पर भौतिक शरीर को त्याग ब्रह्मलीन हो गए 21 जून 1990 दिन बृहस्पतिवार उन्हें जल समाधि दिया गया 1954 से इलाहाबाद के संगम प्रत्येक वर्ष अमावस्या को जाया करते थे उसके पश्चात वृंदावन हरिद्वार अपने भक्तों को दर्शन दिया करते थे


घाघरा के द्वारा क्षेत्र में बाबा कब आए


चंद्र सूचियों के अनुसार 1916 में मई गांव के रामरेखा चौधरी के दरवाजे प्रतिदिन रामकथा होती थी उसी समय देवराहा बाबा वहां कथा श्रवण करने आए और गांव की तस्वीर चरम घाघरा किनारे पीपल के वृक्ष के नीचे कंदरा बनाकर के रहने लगे। इसके पूर्व तेलिया कला की दियारा में आए थे।


देवराहा बाबा आश्रम


देवरिया जनपद मुख्यालय से 40 किलोमीटर दक्षिण राम जानकी मार्ग के समीप मऊ चौराहा से भागलपुर भारतपुर बलिया गांव के पास से 1 किलोमीटर पश्चिम तरफ घागरा के किनारे सरयू के पावन तट पर बबूल बन में उनका आश्रम है बाबा का यहां कास्ट मंच है जहां से दर्शन दिया करते थे और यहां से उत्तर तरफ वाह-वाह की गुफा आश्रम है जहां पर राधा कृष्ण का अद्वितीय मंदिर है जहां पर बाबा ने कंदरा बनाकर के तपस्या किया था झांकी पौराणिक है।


बाबा ने अपनी विशाल मूर्ति स्थापित किया


1974 में देवरा मने विशाल भव्य विष्णु महायज्ञ कराया था और 1975 में अपनी विशाल प्रतिमा स्वयं अपने हाथों से स्थापित किया था।


भक्तों भक्तों से कहा---बच्चा जब मेरा शरीर नहीं रहेगा उस समय मैं इस मूर्ति में सुख चुरू से सदैव निवास करूंगा और इस मूर्ति के दर्शन से मेरा साक्षात दर्शन होगा मानव कल्याण के लिए मेरा सदैव उसके सिर पर उठा रहेगा।


बाबा की उम्र की शोध शोध का विषय


दोराहा बाबा की उम्र एक शोध का विषय है शरारा शरारा शरीर गेहुआ रंग ज्योतिष मान चेहरा दिव्य तथा अलौकिक व्यक्तित्व सिर पर काली घटाएं दाढ़ी के बिखरे लंबे बाल चमकीली आंखें नंग धड़ंग शरीर विकी पतली कमर पर मिलकर छाला भक्तों और दर्शनार्थियों बरबस ही अपनी और आकर्षित करता था आज तक उनकी उम्र का ठीक-ठीक जानकारी नहीं मिल पाया।


भक्तों ने कई बार जानना चाहा तो बाबा ने कहा की बच्चा अपनी उम्र बता दूं तो हमारी दर्शन को भीड़ उम्र पड़ेगी और भीड़ की व्यवस्था कठिन हो जाएगा लोग दर्शन पाने के लिए एक दूसरे को कुचलने देंगे विदेशी भक्त भी बाबा के पैर का नाखून जटा वह दाढ़ी के बाल और उन्हें कर शोध के लिए ले गए परंतु अंदाजा नहीं लगा सके।


नामचीन हस्तियों का ताता


बाबा की ख्यात सुनकर जॉर्ज पंचम प्रयाग में सर्वप्रथम दर्शन करने आए भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद डॉ जाकिर हुसैन डॉक्टर पुरुषोत्तम दास टंडन पंडित मोतीलाल नेहरू पंडित जवाहरलाल नेहरू गोविंद बल्लभ पंत चौधरी चरण सिंह पालकोट के नरेश राजा महेंद्र प्रताप सिंह देव श्रीमती टर्मिनेशन बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्र सहित देश-विदेश तमाम नामचीन हस्तियों का दर्शन करने के लिए तांता लगा रहता था।


ओम नमो भगवते वासुदेवाया।


कृष्णाय वासुदेवाय हरए परमात्मने।


प्रणिता कलीना साय गोविंदाय नमो नमः


जनार्दन कुशवाहा


प्रतिनिधि मईल देवरिया।