नई दिल्ली : राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (नाको) द्वारा विश्व एड्स दिवस पर आयोजित कार्यक्रम का नई दिल्ली में उद्घाटन करते हुए, केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्ष वर्धन ने कहा कि एचआईवी एवं एड्स से पीड़ित लोगों के साथ बातचीत के दौरान हम अपने विचार, कार्य एवं विभाग में निहित भेदभाव को मिटाएं। डॉ. हर्ष वर्धन ने कहा कि हमें 'एड्स/एचआईवी समुदाय' जैसे नामकरणों से बचना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमें अनेक प्रकार की बीमारियों से पीड़ित तथा उनसे उबर चुके लोगों को अलग-थलग नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि एड्स एवं एचआईवी से अपने संघर्ष में हमने काफी कार्य किये हैं, फिर भी देश को 2030 तक एचआईवी/एड्स से मुक्त करने के लिए और भी बहुत कुछ करने की जरूरत है। हमें एड्स से पीड़ित अथवा इससे उभरे हुए लोगों के साथ भेदभाव को मिटाना होगा।
डॉ. हर्ष वर्धन ने साझेदार समुदायों के योगदान की सराहना की, जिन्होंने बीमारी के बारे में जानकारी फैलाने, भ्रम दूर करने, भय एवं आशंकाओं को दूर करने और नाको की परीक्षण एवं उपचार सेवाओं तक पहुंच बनाने में लोगों की मदद करने को लेकर भूमिका निभाई। डॉ. वर्धन ने कहा कि सेवा से वंचित, उपेक्षित समुदायों से जुड़े लोग हमारी शक्ति के स्रोत हैं। इस वर्ष विश्व एड्स दिवस का वैश्विक मूल विषय 'कम्युनिटिज मेक ए डिफरेंस' है। इस कार्यक्रम में, उन्होंने कई रेड रिबन क्लबों को पुरस्कृत किया, जिसने देशभर के युवाओं और समुदायों को प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि इस सामूहिक प्रयास में 1200 से अधिक रेड रिबन क्लबों ने योगदान किया।
कार्यक्रम में डॉ. हर्ष वर्धन ने कहा कि 2018-19 के दौरान, एचआईवी से पीड़ित लगभग 79 प्रतिशत लोग अपनी एचआईवी स्थिति से अवगत थे। एचआईवी की पुष्टि वाले 82 प्रतिशत लोगों का निःशुल्क एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी दी जा रही है।इस अवसर पर, सूक्ष्म, लघु एव मध्यम उद्यम मंत्रालय (एमएसएमई) के सचिव और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय में सचिव (प्रभारी) डॉ. अरूण कुमार पांडा, नाको के विशेष सचिव संजीव कुमार, नाको के संयुक्त सचिव आलोक सक्सेना, यूएनएड्स के कंट्री को-ओर्डिनेटर डॉ. बिलाली कामरा, विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रतिनिधि (भारत) डॉ. हैंक बेकेडम और विभिन्न सीएसओ, एनजीओ एवं सीमा सुरक्षा बल तथा केन्द्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल के 1200 से अधिक सदस्य उपस्थित थे।