कोलकाता भारत का एक जीवान्त शहर


भी भारत में अंग्रेजी साम्राज्य का प्रवेशद्वार बने कोलकाता से आधुनिक नगर नियोजन की सूत्रापात हुआ था। अंग्रेजों ने इसे अपना उपनिवेश बनाने के लिए भूमि उपयोग और भवन निर्माण का नियमन किया जो कालान्तर में अन्य स्थानों के लिए एक उदाहरण बना। कोलकाता के मुख्य दर्शनीय स्थलों में बेलूर मठ प्रसिद्ध है जो रामकृष्ण मिशन का मुख्यालय है। इसकी स्थापना 1899 में रामकृष्ण परमहंस जी के प्रिय स्वामी विवेकानंद ने की थी। शहर के लगभग बाहरी हिस्से में हुगली के पश्चिमी तट पर बने इस मठ का 1938 में पुननिर्माण किया गया। विशाल परिसर में अनेक भवनों में मुख्य भव्य मंदिर जो चहूं ओर से रंगबिरंगे फूलों के बगीचे से घिरा हुआ है। पत्थर का बना यह भव्य मंदिर देशी-विदेशी शैलियों का मिश्रण है।  


हुगली नदी के पूर्व तट पर स्थित दक्षिणेश्वर काली मंदिर 25 एकड़ में फैला हुआ है। 100 फुट ऊंचे, 46 फुट चौड़े 12 गुम्बद वाले इसी मंदिर में कभी श्री रामकृष्ण परमहंस जी पुजारी थे और इसी स्थान पर उन्हें कुछ विशेष अनुभूति हुई जिसने न केवल उनके जीवन को बदल दिया बल्कि नरेन्द्रनाथ को स्वामी विवेकानंद बना दिया जिसने भारतीय संस्कृति की कीर्ति पताका को पूरे विश्व में फहराया। बताया जाता है कि जान बाजार की महारानी रासमणि ने 1847 में इस मंदिर का निर्माण करवाया था। इस मंदिर में प्रवेश के लिए कड़ी सुरक्षा व्यवस्था थीअंदर अनेक स्थानों पर सुगंधित धुआं उठ रहा था। मुख्य मंदिर में हजारों पंखुड़ियों वाले चांदी के कमल पर मां काली शस्त्रों सहित विराजमान हैं। 


 विक्टोरिया मेमोरियल  प्रथम नजर में यह विश्व प्रसिद्ध ताजमहल से मिलता जुलता है1906-21 के बीच सर विलियम एमर्सन द्वारा निर्मित तथा महारानी विक्टोरिया को समर्पित यह स्मारक हरे-भरे मैदान और फूलों की क्यारियों से घिरा हैइसे मुगल शैली के गुंबदों को सारसेनिक और पुनर्जागरण काल की शिल्पकला का मिश्रण कहा जा टिकट लेकर अंदर प्रवेश होता है। यहां बहुत बड़ी संख्या में प्रेमी जोड़े आते हैं।  सोमवार को यह बंद रहने वाले इस मेमोरियल में एक अति विशाल और शानदार संग्रहालय है जहां महारानी विक्टोरिया से संबंधित 3000 से अधिक वस्तुएं प्रदर्शित की गई हैं। 


मैदान और फोर्ट विलियम हुगली नदी के समीप यह भारत के सबसे बड़े पार्कों में से एक है। यह 3 वर्ग कि.मी. के क्षेत्रा में फैला है। मैदान के पश्चिम में फोर्ट विलियम है। चूंकि फोर्ट विलियम को अब भारतीय सेना के लिए उपयोग में लाया जाता है, इसलिए यहां प्रवेश वर्जित है। कोलकाता के अन्य दर्शनीय स्थलों में सेंट पाल कैथेड्रल चर्च शिल्पकला का अनूठा उदाहरण है, इसकी रंगीन कांच की खिड़कियां, भित्तिचित्रा, ग्रांड-आल्टर, एक गोथिक टावर दर्शनीय हैं तो एम जी रोड पर स्थित 1800 में बना मार्बल पैलेस एक अमीर बंगाली जमींदार का आवास था। कोलकाता जाकर नगर की संरक्षक देवी काली को समर्पित मंदिर न जाने का अर्थ है अधूरी रही कोलकाता की यात्राा। इस अति प्राचीन मंदिर का 1809 में पुनर्निर्माण किया गया था।  मां काली की खून से लाल जिव्हा, गले में नरमुंडों की माला। कहा जाता है कि काली भगवान शिव की अर्धांगिनी, पार्वती का ही विनाशक रूप । 


मीलों लम्बा विद्यासागर सेतु कोलकाता को हावड़ा से जोड़ता हैपश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में यातायात के मुख्यसाधनों में भारतीय रेल द्वारा संचालित भूमिगत रेल भी है। 1984 में आरंभ हुई यह भारत की प्रथम भूमिगत एवं मेट्रो प्रणाली थी जबकि दिल्ली मेट्रो का शुभारंभ 2002 में हुआ। मजेदार बात यह है कि दिल्ली की तरह कोलकाता में भी एक मैट्रो स्टेशन का नाम चांदनी चौक है। आधुनिकता और सुविधाओं की दृष्टि में दिल्ली मेट्रो से इसकी तुलना नहीं की जा सकती लेकिन इसका किराया काफी कम है।कहने को बहुत कुछ है लेकिन जो आनंद कोलकाता के साक्षात्कार में है वह उसके बारे में जानने में नहीं हो सकता। बेशक किसी अज्ञानी ने कभी कोलकाता को 'डाइनिंग सिटी कहा था लेकिन कोलकाता जीवान्त शहर है जो शेष महानगरों के मुकाबले काफी सस्ता भी है। यदि इसकी देखभाल और बेहतर ढंग से की जाए तो इस ऐतिहासिक नगरी की खूबसूरती पर चार चांद लग सकते हैं।