आस्था और विश्वास का केंद्र बना कास्ट मंच देवराहा बाबा आश्रम


प्रतिनिधि मईल( देवरिया ) देवरिया के मईल बबूल बन में  स्थित विश्व के संत सम्राट  ब्रह्मलीन  देवराहा बाबा की कर्मस्थली पर स्वयं बाबा ने इस आश्रम में 3 पौधे लगाए थे जिसमें रुद्राक्ष देवदार तथा तीसरा कल्पवृक्ष का पेड़ जो कास्ट मंच के दाहिने तरफ आज भी वर्तमान में है और भक्तों की मुराद पूरी करने में  ऐतिहासिक  पौराणिक कृतियों का बौछार हो रहा है निश्चित ही भक्तों की भीड़ यह साबित करती है की युगों युगों की कृतियां आज भी धरातल पर वर्तमान में है।


हमारे संवाददाता ने ब्रह्मर्षि योगराज देवराहा बाबा की कृपा पात्र शिष्य श्रीश्याम सुंदर दास  जी महाराज से बात के दौरान पाया कि यह वृक्ष धरती पर स्वर्ग से लाया गया अलौकिक पारिजात की उत्पत्ति समुद्र मंथन के दौरान हुई थी पारिजात द्वापर युग में जब देवर्षि नारद भगवान श्रीकृष्ण से मिलने आए तो को उन्होंने  अपने साथ लाए पारिजात का फूल भेंट किए l श्रीकृष्ण अपने पास बैठी अपनी धर्मपत्नी रुकमणी को दे दी दूसरी पत्नी सत्यभामा को पता चली तो सत्यभामा ने कहा कि  स्वर्ग से आए पारिजात के फूल चाहिए समझाने के बावजूद सत्यभामा अपनी जिद पर अड़ी रही। जिद नहीं छोड़ने पर हार थक कर भगवान श्रीकृष्ण ने फूल लाने के लिए स्वर्ग में अपने  दूत को भेजा लेकिन इंद्र ने फूल लेने से दूत को मना कर दिया यह बात जानकर के भगवान श्रीकृष्ण आक्रमण करने की बात ठानी श्रीकृष्ण ने इंद्र को परास्त किया और वृक्ष को जीत लिया इस से इंद्र ने श्राप दिया कि आज से इस परिजात के वृक्ष पर फूल नहीं लगेंगे ।भगवान श्रीकृष्ण ने लाया वृक्ष सत्यभामा की वाटिका में लगा दिया। ऐसा माना जाता है कि श्रीकृष्ण ने ऐसा कर दिया कि जब भी पारिजात के वृक्ष पर फूल लगते हैं वह रुकमणी की वाटिका में जाकर गिरते हैं । आगे महाराज जी ने बताया कि भगवान की जय लीला है गुरु की कृपा है उनकी कृपा मात्र से मंच के चारों तरफ रिद्धि सिद्धि का वास होता है और भक्तों की हर मुरादे कल्पवृक्ष पूरा  कर गुरु कृपा की शौर्य को  और वैभव उज्जवल कर रही है।


 जनार्दन कुशवाहा, प्रतिनिधि- मईल, देवरिया