1942 की क्रांति के पुरोधा स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्वामी नाथ प्रजापति नहीं रहे


देवरिया : देश के स्वतंत्रता आंदोलन के पुरोधा 98 वर्षीय स्वामी नाथ प्रजापति जीवन के अन्तिम पड़ाव पर थे और जिला प्रशासन उनकी सुधि भी नहीं ले रहा था  स्वामी नाथ को एक साल का सश्रम कारावास और  6 बेतो की सजा हुई थी।  सन 1942 की अगस्त क्रांति के पुरोधा और प्रजापति समाज के गौरव स्वामीनाथ प्रजापति अपने जीवन के अन्तिम पड़ाव पर थे अब उनके मुंह से स्पष्ट आवाज भी नहीं निकल रहीं थी फिर भी जब मै 26 अगस्त2019 को उनका हालचाल लेने उनके गांव देवरिया जनपद थाना मईल अन्तर्गत स्थित गोड़वली गया और जब मेरा परिचय दिया गया तो वे नये जोश के साथ मेरा हाथ पकड़ लिए और उठने का प्रयास करने लगे किन्तु मै स्वयं उनकी चारपाई पर बैठ गया और बड़ी ही शालीनता से उनसे बात करने लगा।उन्होंने स्वतंत्रता आन्दोलन मे अपनी भागीदारी के कुछ अंश अपनी लड़खड़ाती आवाज में बयां किया।             


 आठ अगस्त सन् 1942 के बम्बई कांग्रेस अधिवेशन मे रात को जब कांग्रेस ने अंग्रेजों भारत छोड़ो और गांधी ने करो या मरो का नारा दिया तो इस निर्णय ने ब्रिटिश सरकार को झकझोर दिया और अधिवेशन स्थल को ब्रिटिश सैनिकों ने चारो तरफ से घेर लिया। कांग्रेस के सभी बड़े नेता रातोंरात गिरफ्तार कर लिये गये कुछ नेता वहां से निकल गए और गोपनीय तरीके से अपने अपने क्षेत्रों में पहुंच गए।नेताओं की गिरफ्तारी और कांग्रेस के निर्णय की सूचना सुबह होते होते पूरे देश मे आग की तरह फैल गयी, लोग सड़कों पर उतर आये तथा तोड़फोड़ की घटनाएं होने लगी ।छात्र, नौजवान, किसान, कर्मचारी सभीने इस आन्दोलन मे हिस्सा लिया।संघर्ष की यह चिनगारी पूर्वांचल में भी पहुंची।जगह जगह रेललाइन, सड़क ,पुल पुलिया को तोड़कर लोगों ने आवागमन बाधित कर दिया सरकारी संस्थानों, आवासों पर कब्जा कर लिया गया।                    


  इसी क्रम मे गोड़वली गांव के पचासों की संख्या में लोग पिपरादवन गांव के पास सड़क पर बनी पुलिया को तोड़कर आवागमन बाधित कर दिये।यह पुलिया मुख्य मार्ग पर बनी थी जिसे  आज रामजानकी मार्ग कहते हैं।जब ब्रिटिश अधिकारियों को इसकी जानकारी हुई तो गोड़वली गांव को घेर लिया गया, दर्जनों की संख्या में लोग गिरफ्तार कर लिए गये ।गांव के बाहर स्वामीनाथ प्रजापति और महातम चमार भी गिरफ्तार कर लिये गये ।गाव के अन्य लोग तो पैसा देकर छूट गये किन्तु स्वामीनाथ और महातम को पुलिस  तत्कालीन थाना लार ले गयी।स्वामीनाथ के बिरूद्ध अपराध की धारा 35( 1)(4) डी आई आर के तहत मुकदमा दर्ज किया गया और इन्हें तत्कालीन जनपद गोरखपुर के कारागार में डाल दिया गया। 27.10.1942 को मजिस्ट्रेट ने एक साल का सश्रम कारावास और  6 बेत की सजा सुनाई।पूरी सजा काटने के बाद स्वामी नाथ 25.8.43 को रिहा किये गए।    


15 अगस्त 1972 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी ने इन्हें ताम्रपत्र देकर सम्मानित किया।पंद्रह अगस्त 1998 को देवरिया जनपद के तत्कालीन जिलाधिकारी देवेश चन्द चतुर्वेदी ने भी प्रशस्ति पत्र देकर इन्हें सम्मानित किया।स्वामीनाथ इक्के दुक्के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों मे हैं जो अभी तक जीवित हैं।इनके घर की माली हालत अच्छी नहीं है, घर का कोई सदस्य सरकारी नौकरी में भी नहीं है।प्रजापति समाज के इस पुरोधा का आज 13.2.2020को 98 वर्ष की उम्र मे  सुबह 8 बजे उनके  आवास पर निधन हो गया ।मै उन्हें शत शत नमन करते हुए भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ।             


  रामबिलास प्रजापति