पूर्ण बंदी में फसे मजदूरों का निर्माणाधीन भवन बना ठिकाना


नई दिल्ली : कोरोना संक्रमण की वजह से की गई बंदी के कारण कई परिवार बीच राह में ही फंस गए हैं। ये परिवार बंद से पहले  उत्तर प्रदेश के मोहबा व बदायूं से दिल्ली आए थे। इनके पास कई जगहों पर घर निर्माण का ठेका था। अब ये निर्माणाधीन भवन ही इन परिवारों के आशियाने बने हैंबीच राह में परिवारों को कहीं फंसना ना पड़े, इसलिए इन परिवारों ने दिल्ली में ही रहने का फैसला लिया था। बंद की वजह से फंसे इन परिवारों ने यह आप बीती बताई। ये परिवार उत्तरी दिल्ली के पॉश इलाके राणा प्रताप बाग में रह रहे हैं।  बदायं के रहने वाले वीरपाल बताते हैं कि वे अपने परिवार में दो बच्चे समेत चार लोग हैं। बंद की वजह से जब काम भी रूक गया तो परेशानी बढ़ गई। बतौर मिस्त्री इस जगह पर 8.9 माह से काम कर रहे हैं बीच में कहीं फंसना न पड़े इसलिए यहीं रूक गए। बंद हो जाने से ठेकेदार भी नहीं आया। 


इसी क्षेत्र में उत्तर प्रदेश मोहबा के मोहन लाल इस तीन मंजिल की निमार्णाधीन  इमारत में करीब 20-25 लोगों के साथ में रहते हैं। उनके दो परिवार के छह लोग हैं। इनमें कई छोटे.छोटे बच्चे भी हैं। ये सभी परिवार मजदूरी करते हैं। इन्हें भेजने की कोशिश की थी। इनके माता पिता जाने में सफल रहे पर ये लोग नहीं जा सके। किराये पर भी जगह नहीं मिली। इसके बाद सभी लोगों ने यहीं रहने का फैसला लिया। इन परिवारों में छह परिवार ऐसे हैं जो मकान निर्माण के कार्य से जुड़े हैं। जिस ठेकेदार के लिए निर्माण कार्य किया जा रहा है। वह भी रोहिणी का रहने वाला है। बंद की वजह से उसका भी आना बंद हो गया है। इन परिवारों ने सरकारी राशन लेने की भी कोशिश की थी लेकिन उन्हें इसमें कामयाबी नहीं मिली। इसके अतिरिक्त राशन के लिए ऑनलाइन पंजीकरण भी संभव नहीं हो सका। कूपन नहीं मिलने की वजह से राशन भी नहीं मिला।


इन परिवारों का जिम्मेदारी अब आरडब्लए के प्रतिनिधियों ने संभाली है, राणा प्रताप बाग आरडब्लूए के प्रतिनिधि सौरभ गांधी ने बताया कि उनकी टीम को इन परिवारों के संबंध में जानकारी मिली थी। इसके बाद संगठन की तरफ से प्रतिदिन सुबह व शाम को ऐसी सभी जगहों पर खाना पहुंचाया जा रहा है । इसके बाद परिवारों में अभी कहीं नहीं जाने का फैसला लिया है। उन्होंने बताया कि जब तक ये परिवार यहां पर हैं तब तक उन लोगों को पर्याप्त मात्रा में खाना उपलब्ध कराया जाएगा। खाने में लोगों को किसी प्रकार का परशाना न हो इसके लिए उसमें बदलाव कर खाना दिया जा रहा है। इन्हें छोले चावलए राजमा.चावलए दलिया व रोटी भी उपलब्ध कराई जा रही है।