नई दिल्ली : मौजूदा महामारी के प्रकोप ने लोगों के जीवन, उनकी सेहत और रहन-सहन को प्रभावित कर रखा है। दिनचर्या में अचानक खलल पड़ना, एक-दूसरे से दूरी बनाए रखने का कानून और सूचनाओं की बाढ़ ने हम सबको मानसिक अवसाद के खतरे और असमंजस में डाल रखा है। अनवरत भय, चिंतित मनोदशा, चिड़चिड़ापन, अपराधबोध, निराशावाद एवं मूल्यहीनता, अनिंद्रा, भूख का मिट जाना या मोटापा बढ़ना, एकाग्रता में कमी और लंबे समय तक स्वास्थ्य समस्याओं का बने रहना इस बात का संकेत हो सकता है कि अवसाद हमारे स्वास्थ्य और प्रतिरक्षा को प्रभावित कर रहा है। लोकडाउन की अवधि के दौरान हमारी मौजूदा अंतर्निहित बीमारियां पर्याप्त शारीरिक गतिविधियों के अभाव में और महामारी के डर से बढ़ भी सकती हैं। इसलिए यदि हमें जीवनशैली से जुड़ी कोई बीमारी नहीं हो तब भी हमारी शारीरिक ताकत और प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने की जरूरत है।
कोविड-19 से बचने के लिए किसी निर्धारित उपचार, टीका और चिकित्सा संबंधी सिफारिशों के अभाव में ज्यादातर देशों की सरकारों और विश्व स्वास्थ संगठन ब्रिटिश डाइअटेटिक (आहार संबंधी) एसोसिएशन और यूडी खाद्य एवं प्रशासन जैसी विभिन्न अधिकृत अंतर्रष्ट्रीय स्वास्थ्य एजेंसियां ज्यादातर सब्जियों एवं फलों, बादाम आदि मेवों, दालों एवं साबुत अनाजों, अन्य, असंतृप्त तेलों का इस्तेमाल करने और सोडा, नमक, चीनी और ट्रांस वसा का सीमित इस्तेमाल और जंक फूड एवं चीनी युक्त भोजन का इस्तेमाल बंद कर देने पर जोर दे रही हैं। भोजन के अलावा इनके दिशा निर्देशों में शारीरिक व्यायाम, ध्यान एवं पर्याप्त नींद और खुले में धूप लेने की सलाह दी जाती है।
ये सिफारिशों और दिशानिर्देश भारत की प्राचीन उपचार प्रणाली यानी आयुर्वेद का एक हिस्सा रहे हैं जो बताते हैं कि जीवन आहार (भोजन), विहार (जीवन शैली), आचार (दूसरों से व्यक्तिगत व्यवहार) और विचार (मानसिक स्वास्थ्य) जैसे चार स्तंभों पर टिका है। इसके अनुसार, भोजन एक तरह की औषधि है जो जीवन के तत्वों, भोजन और शरीर के बीच तालमेल बिठाते हुए किसी को भी स्वस्थ कर सकता है। किसी का व्यक्तिगत स्वभाव, शारीरिक एवं मानसिक स्थिति उसके पसंद का भोजन, उसकी मात्रा और उसकी जीवनशैली से निर्धारित एवं नियमित की जा सकती है। यह सभी जानते हैं कि जीन, पर्यावरण, भोजन एवं भावनात्मक तत्वों में गहरा संबंध है जो मिजाज के दुष्चक्र, भोजन और जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों की ओर ले जाता है। आयुर्वेद एक स्वस्थ एवं शांत जीवन जीने और कोविड-19 सहित विभिन्न बीमारियों का मुकाबला करने के लिए स्वस्थ जीवन शैली, ध्यान, प्राणायाम, पर्याप्त नींद और सात्विक भोजन ग्रहण करने की सलाह देता है।
आयुर्वेद का मानना है कि उचित खाद्य चयन और उचित समय पर भोजन ग्रहण करने से शांत दिमाग के साथ संपूर्ण सेहत बनाए रखने में मदद मिलती है। भगवद्गीता और योग शास्त्रों ने भोजन को उनके गुणों के आधार पर तीन प्रकार का बताया है। वह हैं सत्व (सतोगुण), राजस (रजोगुण) और तामस (तमोगुण) । सत्व का मतलब साधुता जबकि राजस का मतलब आक्रामक /सक्रिय और बेहतर से बदतर की ओर है । तामस का मतलब निष्क्रिय होता है। सात्विक भोजन का मतलब ऐसे भोजन और खाने की आदतों को अपनाना है जो प्राकृतिक, जीवंत और उर्जा से भरपूर हो और जो धीरज एवं शांति प्रदान करता हो और लंबी उम्र, सुबोध, ताकत, सेहत और आनंद बढ़ाता हो। सात्विक भोजन का उदाहरण फल, सब्जी, अंकुरित अनाज, बादाम आदि मेवे, कम वसायुक्त दूध एवं दुग्ध उत्पाद, फलों का रस और पकाया भोजन जो बनने के तीन- चार घंटों के भीतर खा लिया जाय।
राजसी भोजन वह है जो काफी मसालेदार, गर्म या तीखा, खट्टा एवं नमकीन स्वाद के साथ पकाया गया हो। राजसी भोजन नकारात्मकता, वासना और बेचैनी बढ़ाने वाले होते हैं। राजसी भोजनों का उदाहरण कैफीन युक्त पेय (कॉफी, फिज्जी सॉफ्ट ड्रिंक, चाय) शर्करा युक्त भोजन (चॉकलेट, केक, बिस्किट, चिप्स इत्यादि) या मसालेदार खाद्य पदार्थ हैं। इन खाद्य पदार्थों में ग्लुकोज अधिक होने की वजह से यह शरीर को तत्काल ऊर्जा प्रदान कर सकता है लेकिन यह धीरे-धीरे दिमाग और शरीर के बीच संतुलन को बिगाड़ देता है।
जड़ता का बोधक तामसिक भोजन वह है जो जरूरत से ज्यादा पकाया हुआ, बासी, फिर से गर्म किया हुआ, माइक्रोवेव में पकाया या ठंडा जमाया हुआ भोजन, मांस, मछली मांस-पक्षी, अंडे जैसे मृत भोजन, अल्कोहल, सिगरेट, और मादक दवाइयां इत्यादि हैं। तामसिक भोजन सुपाच्य नहीं होता है और निष्क्रियता एवं सुस्ती देता है तथा सोने को प्रेरित करता है। ऐसेे भोजन मोटापा, मधुमेह, हृदय एवं यकृत की बीमारियों के मुख्य कारण हैं।
प्रसंस्कृत एवं जंक फूड के रूप में उपलब्ध राजसी और तामसी भोजन में कार्बोहाइड्रेट, चीनी, और ट्रांस-वसा बड़ी मात्रा में होते हैं। उच्च फ्रक्टोज कोर्न शुगर सिरप (एचएफसीएस) और चीनी का मेल अपने भंडार और उपयोग होने तक की लंबी अवधि, स्वाद और कम कीमत की वजह से मिठास बढ़ाने वाले (स्वीटनर) के रूप में इस्तेमाल होने के लिए भारतीय उद्योगों की पहली पसंद बना हुआ है । इसका परिणाम स्वीटनर में 30% अधिक बढ़ोतरी होती है। इससे इंसुलिन लेप्टिन हार्मोन को नियंत्रित रखने की क्षमता घट जाती है और घ्रेलिन के उत्पादन को भी यह रोक देता है। यह सभी हार्मोन दिमाग के संतृप्ति केंद्र को प्रभावित करते हैं और खून में शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने वाले होते हैं। फ्रेन्च फ्राई, डफनट्स, केक, पाई क्रश्ट, बिस्किट, जमाया हुआ पिज्जा, कुकीज़, क्रैकर्स और मार्जरीन (नकली मक्खन) जैसे फास्ट फूड और तला हुआ भोजन हाइड्रोजन युक्त या कत्रिम ट्रांस वसा (ट्रांस वसा युक्त अम्ल) से बनते हैं जो खाद्य उद्योग की खाद्य प्रसंस्करण जरूरतों को पूरा करते हैं, इस्तेमाल में आसान एवं सस्ता है और बाजार में कई बार बिक सकते हैं। ज्यादा चीनी, ज्यादा वसा और जानवरों के प्रोटीन से बना भोजन रक्त में शर्करा के स्तर को दुरुस्त रखने में बाधक तथा यकृत में वसा जमा होने, उच्च यूरिक एसिड सांद्रता, किडनी के कामकाज को घटाने एवं धमनियों में थक्का जमने और वसा जमने की वजह बनता है।
दूसरी तरफ प्राण समृद्ध भोजन कार्बोहाइड्रेट, वसा, रेशेदार आहार, विटामिन, खनिज और ऑक्सीकरण रोधी तत्वों के साथ सीमित मात्रा में शर्करा, नमक, और तेल का संयोजन होता है जिसमें जानवरों का वसा नहीं होता है। यह आसानी से पच सकता है और इसमें आयुर्वेद के सभी छह स्वादु (मीठा, खट्टा, नमकीन, तीखा, कड़वा, कसैला) का इस्तेमाल होता है । शारीरिक व्यायाम, पर्याप्त विश्राम और सकारात्मक सोच के साथ सात्विक भोजन ऊर्जा का स्रोत होता है और यह उच्च बॉडी-मास सूचकांक, कोरोनरी धमनी बीमारी, मोटापा, उच्च रक्तचाप, टाइप 2 मधुमेह और अस्थि (ऑस्टियोपोरोसिस) के खतरे को कम कर सकता है। सात्विक भोजन शुद्ध, प्राकृतिक, मजबूत, बुद्धिमतापूर्ण और दिमाग को शांति प्रदान करने के लिए ऊर्जा से भरपूर होता है और इससे किसी व्यक्ति की उम्र बढ़ जाती है।
जबकि, दूसरी ओर प्याज, लहसुन, हींग, कैफिन युक्त चाय एवं कॉफी, तला-भूना मसालेदार, अधिक शर्करा और जंक फूड जैसे राजसी और तामसी भोजन बेचैनी, आलस्य और नींद को बढ़ाता है। प्याज और लहसुन जैसा खाद्य पदार्थ दवाई के रूप में अच्छा हो सकता है लेकिन यह रोज खाने लायक नहीं है। रोज खाये जाने वाले वे भोजन जो प्रणाली को उत्तेजित करते हैं, वे जीवन को अनुभव करने वाली संभावनाओं को कम कर सकते हैं।
मौजूदा महामारी के दौरान भोजन के विकल्प
अनुशंसित खाद्य पदार्थ | खाने से बचें (लेकिन स्वाद ग्रंथियों की संतुष्टि के लिए कभी-कभी ये चीजें खाई जा सकती हैं) | गैर अनुशंसित भोजन |
कच्चे या ताजे पके हुए रंगीन सब्जियों और फलों के रूप में रेशेदार भोजन (विटामिन ए, सी और ई के अच्छे स्रोत साथ ही ऑक्सीकरण रोधी फोलेट और फाइबर भी मौजूद) (विकल्प -स्ट्रीमिंग, ग्रिलिंग, खाना पकाने के अन्य तरीके) | कम मसालेदार और तैलीय भोजन
लहसुन, प्याज और सीमित मात्रा में बेमौसमी सब्जियां | तला भूना, ज्यादा मसालेदार, ज्यादा पकाया या बासी भोजन |
दलहन और साबुत अनाज (जौ, ब्राउन पास्ता, बाजरा और चावल और गेहूं की ताजी रोटियां ) | ब्राउन ब्रेड | रिफाइंड, प्रसंस्कृत अनाज (सफेद पास्ता एवं चावल और ह्वाइट ब्रेड, ज्यादा जमाया हुआ भोजन |
कम वसा या घटाए हुए वसा वाले दूध और दही, योगर्ट (प्रोबायोटिक से भरपूर जो पाचन तंत्र को मजबूत रखता है) जैसे दुग्ध उत्पाद | पौल्ट्री और मछली जैसी ह्वाइट मीट जिसमें सामान्यतः रेड मीट, प्रसंस्कृत मीट की तुलना में कम वसा होता है। (हालांकि यह सात्विक भोजन का हिस्सा नहीं है) | रेड मीट |
बिना नमक के नट्स और बीज (कद्दू, सुरजमुखी, अलसी के बीज) यह सब विटामिन ई, नियासिन, राइबोफ्लेविन, प्रोटीन, स्वस्थ वसा, ऑक्सीकरण रोधी और फाइबर के बड़े स्रोत हैं। | इडली, डोसा, ढोकला, उपमा, दलिया, पी-नट बटर के साथ ब्राउन ब्रेड जैसे घर में बना कम वसा/ शर्करा वाले स्नैक्स | ज्यादा नमक और चीनी युक्त स्नैक्स (कुकीज़, समोसा, केक, चॉकलेट) आचार, जैम |
अंडे का पीला भाग और अनाज से भरपूर नाश्ता | डिब्बाबंद भोजन अतिरिक्त नमक या चीनी हटाने के लिए धोने के बाद खाएं |
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असंतृप्त वसा (मछली, एवोकैडो, नट्स, जैतून का तेल, सूर्यमुखी और कॉर्न आयल) वसा लिए गए कुल ऊर्जा के 30% से कम होना चाहिए जिसमें से 10% से ज्यादा संतृप्त वसा नहीं होना चाहिए। | संतृप्त वसा, वसा युक्त मांस, मक्खन, नारियल तेल, क्रीम, चीज और चरबी
| रांस वसा (प्रसंस्कृत भोजन, फास्ट एंड फ्राइड फूड, स्नैक्स, फ्रोजन पिज़्ज़ा, कुकीज़, मार्जरीन (नकली मक्खन) और दावत |
ताजा फलों का रस, कम वसा वाली लस्सी, नींबू पानी, नारियल पानी/ गर्म पानी, हर्बल चाय पॉलीफेनॉल्स, फ्लेवोनॉयड्स और एंटी ऑक्सीडेंट जो फ्री रेडिकल्स को नष्ट कर देते हैं।
| शर्करा की अधिकता वाले साफ्ट ड्रिंक्स या सोडा और अन्य ड्रिंक (उदाहरण- डिब्बाबंद फलों का रस, फल रस सांद्र एवं सीरप, फ्लेवर्ड मिल्क और पानी, एनर्जी एंड स्पोर्ट्स ड्रिंक्स और कैफीन युक्त योगर्ट ड्रिंक्स) | अल्कोहल, तंबाकू, ड्रग्स, |
शहद और गुड़ | ब्राउन शुगर | चीनी |
भारतीय औषधियां:- धनिया, हल्दी, मेथी, तुलसी, लोंग, कालीमिर्च, दालचीनी, अदरक और कड़ी पत्ता। इन मसालों में एंटी ऑक्सीडेंट, एंटी बैक्टीरियल, एंटी फ्लेमेट्री गुण होते हैं। प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने और शरीर से किसी भी पदार्थ को निकालने में मददगार होते हैं । रॉक साल्ट रोज 5 ग्राम (1 चम्मच के बराबर) लेना चाहिए । | आयोडीन युक्त नमक | बिना आयोडीन वाला नमक |
भारत सरकार के आयुष मंत्रालय के मौजूदा दिशा-निर्देश सुरक्षात्मक स्वास्थ्य उपायों और प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत करने के लिए स्वयं ध्यान रखने के दिशा निर्देश दिए हैं। इन दिशानिर्देशों में कोविड-19 के खिलाफ प्रतिरक्षा बढ़ाने के उपायों के रूप में हर्बल चाय और तुलसी, दालचीनी, कालीमिर्च, सौंठ (सूखी अदरक) और मुनक्का का काढ़ा जिसमें स्वाद के लिए गुड़ और /या ताजा नींबू रस मिला हो, पीने की सलाह दिया गयाा है। इन दिशानिर्देशों में ठंडा जमा हुआ और गरिष्ठ भोजन खाने से बचने की सलाह दी गई है जो साफ संकेत है कि राजसी और तामसी भोजन से बचा जाए । पर्याप्त विश्राम, समय से सोना, खुले में धूप लेना और योगासन एवं प्राणायाम के अभ्यास जैसी सलाह हमारे शरीर, दिमाग और जीवनशैली को संतुलित करने में मदद करेगी।
सलाह दी जाती है कि इस अनिश्चितता और उपचार की अनुपलब्धता की कठिन घड़ी में महत्वपूर्ण यह है कि स्वस्थ और शांत रहा जाए। अन्य सलाहों के साथ अच्छा भोजन, जैसा कि ऊपर सारणी में बताया गया है, कोविड-19 के खिलाफ संघर्ष में हमारी प्रतिरक्षा के निर्माण के साथ ही अवसाद मिटाने में हमारी मदद करेगा।
लेखन: ज्योति शर्मा, वरिष्ठ वैज्ञानिक, डीएसटी और एस के वार्ष्णेय हेड, अंतर्रष्ट्रीय द्विपक्षीय सहयोग संभाग, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग
(लेख में व्यक्त किए गए विचार लेखकों के अपने हैं और इसका उस संगठन से कोई वास्ता नहीं है जिसके वह सदस्य हैं)
(इंडिया साइंस वायर)