अहिल्या बाई होलकर के व्यक्तित्व एवं कृतित्व को नए शिक्षा सत्र के पाठ्यक्रम में शामिल करने की मांग


इंदौर 9 जून 2020 :  भाजपा नेता व पाल समाज नवयुवक मंडल अध्यक्ष वरुण पाल ने रेसीडेंसी कोठी में मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान को राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय, सांसद शंकर लालवानी, भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष सुदर्शन गुप्ता, महापौर मालिनी गौड़, जिला अध्यक्ष राजेश सोनकर, नगर अध्यक्ष गौरव रणदिवे की उपस्तिथि में ज्ञापन देकर देवी अहिल्याबाई के व्यक्तित्व औऱ कृतित्व को नए शिक्षण सत्र में पाठयक्रम में शामिल करने की मांग की है। 


पाल ने बताया कि अहिल्या बाई के व्यक्तित्व एवं कृतित्व की लोकप्रियता देश मे ही नही बल्कि पूरे विश्व मे फैली हुई है, इस बात का प्रमाण है, कि उनके समकालीन, कई अंग्रेजी लेखकों ने भी उनके कार्यो व निर्णयों की प्रशंसा अपनी पुस्तकों में की है। 


देवी अहिल्याबाई ने मालवा ही नही बल्कि देश के हर कोने में अपने सेवा कार्यों की छाप छोड़ी है। प्रजा के सुख को अपना सुख मानने वाली अहिल्या बाई ने मंदिरों का जीर्णोद्धार, सड़कों का, विश्राम गृहों, बावड़ियों, कुओं, तीर्थ स्थलों पर घाटों, भूखों के लिए अन्न क्षेत्रों का निर्माण करवाया, उन्होंने महेश्वर को न चुनते हुए इंदौर को व्यापारिक राजधानी चुना, उनके पुण्य प्रताप से ही आज इंदौर, मालवा ही नही बल्कि मध्य भारत की व्यापारिक राजधानी बन गया है। 


पाल ने बताया कि देवी जी ने अपना सर्वस्व मानवता के कल्याण के लिए न्योछावर कर दिया। चोर, लुटेरों को आत्म निर्भर बनाने के लिए खेती करने के लिए जमीन दी, उस दौर में जब सती प्रथा का जोर था, ऐसे समय मे उन्होंने विधवा महिलाओ के सती न होने पर बल दिया। मुस्लिम आक्रांताओ द्वारा तोड़े गए मंदिरों के पुनः निर्माण के साथ साथ धर्म जागरण व धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए उन्होंने मंदिरों में विद्वानों की नियुक्ति की, ऐसे अनेक उदाहरण है, जिनसे उनकी जनकल्याण की नीति, प्रशासकीय क्षमता, राजकीय कार्यो में दक्षता, सहिष्णुता, प्रजा से अपनत्व के भाव को समझा जा सकता है। उनके जीवन चरित्र से आने वाली पीढ़ी को अवगत कराया जाना चाहिए। 


     अहिल्या बाई के आदर्शो को जान कर मध्यप्रदेश के विद्यार्थी उनका अनुशरण करें, इसके लिए मध्यप्रदेश के नए शिक्षण सत्र के पाठ्यक्रम में देवी जी के महान प्रशासकीय निर्णयों, विकास कार्यो एवं सदाचरण की बानगी को शामिल किया जाना चाहिए।