अहिल्याबाई होल्कर की 295 वी जयंती पर वेबीनार द्वारा आयोजित हुई राष्ट्रीय परिचर्चा'


"प्रकृति प्रेम की अद्वितीय मिसाल पेश की देवी अहिल्याबाई होल्कर ने" : ग्रीन मैन विजयपाल बघेल


नई  दिल्ली : न्याय और धर्म परायणता की प्रतिमूर्ति के रूप में विख्यात देवी अहिल्याबाई होल्कर की 295 वी जयंती के शुभ अवसर पर उनके प्रकृति प्रेमी पहलू को उजागर करने के लिए 'देवी अहिल्याबाई होल्कर के रूप में एक महान प्रकृति उपासिका का दर्शन' विषय पर परिचर्चा सेमिनार के माध्यम से आयोजित की गई। परिचर्चा में देश के कोने-कोने से इतिहासकार, प्रकृति  प्रेमी, मालवा साम्राज्य की जानकार तथा शिक्षाविदों ने भाग लेकर देवी से जुड़े हुए इतिहास के पन्नों से खोजकर नवीनतम तथ्यों को पटल पर रखा।


          ग्रीनमैन विजयपाल बघेल ने बेविनार का शुभारंभ अहिल्याबाई के प्रकृति के साथ आत्मीय संबंधों की प्रेम कहानी को भूमिका के रूप में प्रस्तुत करते हुए कहा कि देवी अहिल्याबाई होल्कर ने प्रकृति प्रेम की मिसाल पेश की। उन्होंने हजारों सरोवर, ताल तलैया, बाबरी, घाट आदि के वनवाने वाले प्रेरणादायक कार्य किए। मालवा साम्राज्य ही नहीं पूरे देश में धार्मिक स्थलों पर जाकर उनके पुनर्निर्माण करते हुए वहां तक पहुंचने के लिए नए मार्गों का निर्माण कराया, जिनके दोनों तरफ फलदार पेड़ लगवाए गए।


उन्होंने बताया कि जहां भी नया निर्माण कराया उसका मुहूर्त ही पौधारोपण के माध्यम से माता रानी कराती थी, अभी तक उन रोपित स्मृतियों को काशी, सोमनाथ, हरिद्वार, कुरुक्षेत्र, गढ़मुक्तेश्वर, इंदौर, मथुरा, आदि सभी तीर्थ स्थलों पर दरख्तों के रूप में देखा जा सकता है। सभी सरोवर पर तरुवर के उद्यान और बागान लगाने वाली रीति को अपनाकर परंपरा स्थापित की। देवी में अटूट आस्था रखने वाले सद्विचार विचार मंच के अध्यक्ष केके दीक्षित ने देवी अहिल्याबाई होल्कर के प्रति प्रकृति प्रेम का उद्घाटन करते हुए कहा कि उन्होंने हाथ से सूत कातकर साड़ियां हैदराबाद के कारीगरों को बुलाकर पूरे महेश्वर के घर घर में बनवाने का कुटीर कार्य कराया, जो कि प्राकृतिक रंगों से ही रंगी दी जाती थी।


          इतिहासकार धनगर अजय पाल सिंह होल्कर ने उनके 28 वर्ष के शासनकाल को मालवा का सतयुग कहते हुए कहा कि शिव की अनन्य भक्त होने के कारण देवी अहिल्याबाई होल्कर ने इंदौर से हटकर अपनी राजधानी शिप्रा नदी के किनारे महेश्वर में स्थापित की और वहां से नदी के संरक्षण का बड़ा बीड़ा उठाकर गंगा, यमुना, गोदावरी, कावेरी सहित बहुत सी नदियों के संरक्षण में उल्लेखनीय कार्य किए। डा0 पूनम शर्मा ने उनके जीवन चरित्र पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हमें उनके द्वारा स्थापित प्रकृति की रक्षा में समर्पित हो जाना चाहिए।


             प्रसार भारती में अधिकारी रहे डॉक्टर हरिसिंह पाल ने लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर की न्याय प्रियता और कुशल प्रशासक के बारे में कई महत्वपूर्ण जानकारी देते हुए कहा कि उनका तो पूरा जीवन ही प्रकृति और शिव की प्रति समर्पित रहा।    डॉक्टर नीलम शर्मा ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि नारी शक्ति के रूप में अहिल्या ने जो भी कार्य किए वह सभी प्रेरणादायक है।


          पूर्व मंत्री सतीश पाल ने कहा  कि सतयुग में विष्णु, द्वापर में राम, त्रेता में कृष्ण तथा कलयुग में अहिल्या बाई होल्कर ने अवतार लेकर लोक कल्याण किया,  तभी तो अहिल्याबाई को लोकमाता का दर्जा मिला।  जिन्होंने सृष्टि के सारे घटकों का पूरा ख्याल रखा। सेमिनार का संचालन डॉ अरुण कुमार सैनी ने किया।


        परिचर्चा में हेमलता सिसोदिया ने भी अपने सारगर्भित विचार रखते हुए कहा कि मातृ शक्ति के रूप में देवी अहिल्याबाई होल्कर पूजनीय है जिन्होंने हमें प्रकृति संरक्षण की प्रेरणा दी है। ग्रीन गुरु के नाम से प्रसिद्ध अनिल कुमार सिंह ने पेड़ पौधों के साथ देवी अहिल्याबाई के मानवीय संबंध से प्रेरित होकर ही हरित अभियान संचालित किया है। राष्ट्र कवि पृथ्वी सिंह बेनीवाल ने काव्य रचना के माध्यम से मातेश्वरी का गुणगान किया। परिचर्चा में दिल्ली, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, केरल, कर्नाटक, छत्तीसगढ़, झारखंड, उड़ीसा, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, पंजाब, हरियाणा आदि प्रदेशों के सैकड़ों प्रतिभागी जुड़े तथा विदेशी कनाडा, थाईलैंड, इंडोनेशिया, मॉरीशस, नेपाल, भूटान, सऊदी अरब आदि कई देशों के प्रतिनिधियों के साथ भी संवाद हुआ । बीकेएस पाल, डा मनोज कुमार, आरसी पाल, राहुल सिंह, डा ममता पांडे, रजनीश, डॉक्टर अतुल वैद्य, अजय त्यागी आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए।



डा0 अरुण कुमार