उन्होंने कहा किइस बदलते हुए परिवेश मेंसंस्थान अपनेपरिवेशमेंतकनीक एवं कार्य जगत के अनुसार परिवर्तन करें। ताकि किसी भी नीति निर्धारण के लिए यह संस्थान मंत्रालय को उचित सामयिक ज्ञानवर्द्धन तथा विभिन्न देशों में प्रचलित अंतर्राष्ट्रीय नीतियों के बारे में मार्गदर्शक और गाइड की तरह कार्य कर सकें।
श्री गंगवार आज नोएडा स्थित वी.वी.गिरी राष्ट्रीय श्रम संस्थान के प्रशासनिक ब्लॉक एवं सभागार के उद्घाटन समारोह को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि यह संस्थान वर्षों से राष्ट्रीय स्तर पर श्रम जगत से जुड़े मुद्दों पर विभिन्न कार्यों जैसे ट्रेनिंग, रिसर्च, प्रकाशनों इत्यादि को सफलतापूर्वक निष्पादित करता आ रहा है। पिछले कुछ वर्षों में इस संस्थान के कार्यों में व्यापक विस्तार के साथ-साथ विविधता भी आई है। वर्तमान में वी.वी.गिरी राष्ट्रीय श्रम संस्थान सभी स्टेकहोल्डर्स के प्रशिक्षण में श्रम जगत से जुड़े हुए विभिन्न पहलुओं पर रिसर्च का महत्वपूर्ण कार्य कर रहा है।
उन्होंने कहा कि पूरा विश्व वैश्विक महामारी कोविड-19 से जूझ रहा है। इस महामारी से हमारे सामने कई चुनौतियां आयीं लेकिन हम सबने मिलकर इस कठिन समय का मजबूती से सामना किया है। कोविड की चुनौतियों का सामना करते हुए संस्थान ने अप्रैल एवं मई के महीने से ही कई ऑनलाइन ट्रेनिंग कार्यक्रम चलाकर तकनीकी रूप से अनेक परिवर्तन किये हैं।
उन्होंने कहा कि सरकार समाज के सबसे अंतिम पंक्ति में खड़े हुए श्रमिक के हितों को सुरक्षित करने के लिए संकल्पित है तथा इस दिशा में निरंतर प्रयासरत है। अटल बीमित व्यक्ति कल्याण योजना के माध्यम से कोरोना काल में ईएसआईसी में रजिस्टर्ड जिन IPs यानि बीमित व्यक्तियों की नौकरियां छूट गयी हैं, उन्हें पिछले वेतन की 50 प्रतिशत धनराशि, बेरोजगारी भत्ते के रूप में 3 महीने के लिए प्रदान करने की व्यवस्था की गयी है।
श्री गंगवार ने कहा कि श्रमिक और संस्थान दोनों, एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। इसीलिए श्रमिकों एवं नियोक्ताओं को सीधी वित्तीय सहायता पहुँचाने हेतु आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना की भी शुरूआत की गयी है। इसके अंतर्गत 1000 कर्मचारियों तक के संस्थानों के उन सभी नये कर्मचारियेां के लिए, जिन्हें 01 अक्तूबर, 2020 से 30 जून, 2021 तक नौकरी प्रदान की जायेगी, उनके ईपीएफ अंशदान के दोनों हिस्सों, यानि श्रमिक के हिस्से के 12 प्रतिशत और साथ-साथ नियोक्ता के हिस्से के भी 12 प्रतिशत अर्थात कुल 24 प्रतिशत अंशदान का खर्चा केन्द्र सरकार वहन करेगी। यह 24 प्रतिशत अंशदान नौकरी आंरभ होने से अगले 2 वर्षों तक केन्द्र सरकार द्वारा प्रदान किया जाता रहेगा। ऐसे संस्थान जहां कर्मचारियों की संख्या 1000 से अधिक हैं, वहां भी कर्मचारी के हिस्से के 12 प्रतिशत ईपीएफ के अंशदान को सरकार द्वारा वहन किया जायेगा।
उन्होंने कहा कि लेबर कोडस के माध्यम से हमने अपने श्रमिकों के लिए बहुत से अभूतपूर्व कदम उठाए हैं। न्यूनतम मजदूरी का कानूनी अधिकार, सभी 50 करोड़ श्रमिकों को, आप सभी के सहयोग से पवहली बार भारत में प्रदान किया गया है। श्रमिकों को एक सुरक्षित कार्य का वातावरण देने के लिए ओएसएच कोड के भी कई अच्छे प्रावधान लाये गये हैं। हमने सोशल सिक्यूरिटी कोड के माध्यम से एक यूनिवर्सल सोशल सिक्यूरिटी कवरेज स्थापित करने हेतु भी कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। इसके साथ-साथ ही आईआर कोड के माध्यम से एक सरल एवं पारदर्शी विवाद निस्तारण प्रणाली की व्यवस्था भी की गयी है।
उन्होंने कहा कि संस्थान में पिछले 3-4 वर्षों में प्रशिक्षण कार्यक्रमों के साथ-साथ इन प्रशिक्षण कार्यक्रमों में भाग लेने वाले प्रतिभागियों की संख्या में भी नपिरंतर वृद्धि हो रही है। यह भी प्रसन्नता की बात है कि संस्थान द्वारा सिविल सेवा के अधिकारियों, राज्यों के श्रम सेवा के अधिकारियों और भारतीय नौ सेना के वरिष्ठ अधिकारियों के लिए भी विभिन्न स्तरों पर प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किये गए हैं।