मसाला बोर्ड ने हल्दी के खरीदारों और विक्रेताओं की वर्चुअल बैठक आयोजित की


 

ल्दी की फसल कटाई का समय नजदीक आने के साथ ही मसाला बोर्ड ने बाजार में संपर्कों को मजबूत करने और निर्यात को बढ़ावा देने के लिए खरीदारों और विक्रेताओं की एक वर्चुअल बैठक (बीएसएम) का आयोजन किया। बैठक में कुल 122 प्रतिभागी मौजूद थे। बीएसएम का उद्देश्य किसानों और किसान उत्पादक समूहों को उनकी फसल की बेहतर कीमत उपलब्ध कराना था।

कोविड-19 महामारी के दौर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले गुणों के कारण हल्दी की मांग बढ़ाने में मुख्य भूमिका निभाई है, जिसके परिणामस्वरूप इसकी मांग में 42 प्रतिशत (99,000 मीट्रिक टन) और हल्दी निर्यात में 35 प्रतिशत (चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही (अप्रैल-सितंबर 2020) के दौरान 858.10 करोड़ रुपये) का इजाफा हुआ।

बीएसएम का उद्घाटन करते हुए निजामाबाद के सांसद अरविंद धर्मपुरी ने कहा कि यह क्षेत्र हल्दी की खेती के लिए जाना जाता है और अपने स्वास्थ्य गुणों वाले इस मसाले के प्रसंस्करण और मूल्य संवर्धन पर ध्यान केंद्रित कर क्षेत्र से इसका निर्यात बढ़ाने की गुंजाइश है। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि हल्दी की गुणवत्ता में सुधार के लिए किसानों को मार्गदर्शन दिया जा सकता है।

हल्दी मुख्य रूप से तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र, ओडिशा, पश्चिम बंगाल और उत्तर पूर्वी राज्यों में उगाई जाती है। तेलंगाना देश का सबसे बड़ा मसाला उत्पादक है, जिसमें चार जिले शामिल हैं। राज्य में हल्दी उत्पादन का करीब 90 प्रतिशत निजामाबाद, करीमनगर, वारंगल और आदिलाबाद में होता है।

मसाला बोर्ड ने समर्थन विस्तार के अलावा फसल कटाई सुधार और निर्यात प्रसार गतिविधियों के संचालन और तालमेल प्लेटफार्मों पर हितधारकों को एक साथ लाने के लिए हल्दी टास्क फोर्स समिति (टीटीएफसी) का गठन किया है, जिससे हल्दी के पूर्ण व्यावसायिक संभावनाओं के दोहन के लिए विभिन्न हितधारकों द्वारा सहयोगात्मक प्रयासों को बढ़ाना है।  क्षेत्र से स्वच्छ और गुणवत्ता वाले मसालों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए बीज सामग्री की शुद्धता, फसल कटाई के बाद के कार्यों समेत अन्य मुद्दों को लेकर समिति अब तक तीन बैठकें आयोजित कर चुकी है।

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